tag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post2979838402081796864..comments2023-08-12T16:22:34.016+05:30Comments on nazariya.....नजरिया.....: एक सार्थक उपन्यास.....'ये वो सहर तो नहीं' !Pawan Kumarhttp://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comBlogger25125tag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-56522729373830708272011-05-05T03:49:24.411+05:302011-05-05T03:49:24.411+05:30पुस्तक अभी तक नहीं पढ़ी है जबकि सुबीर भाई दे चुके...पुस्तक अभी तक नहीं पढ़ी है जबकि सुबीर भाई दे चुके हैं। समीक्षा इसलिए नहीं पढ़ी क्योंकि पहले पुस्तक तो पढ़ लूं।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-38607401395316930432011-03-10T05:23:03.020+05:302011-03-10T05:23:03.020+05:30पढ़ गया एक साँस में पंकज सुबीर जी की तरह मैं भी।
...पढ़ गया एक साँस में पंकज सुबीर जी की तरह मैं भी। <br /><br />आपने समीक्षा मनोयोग से की है, जिस पर सुबीर जी का प्रसन्न होना स्वाभाविक है। क्योंकि सर्जक की सर्जना परखी/परख ली जाय - इसका भी एक तोष है। <br /><br />आभार!Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-45498595014610686232010-11-24T08:37:34.147+05:302010-11-24T08:37:34.147+05:30काकोड़ा की तस्वीरें देखने आये तो उपन्यास की कहानी म...काकोड़ा की तस्वीरें देखने आये तो उपन्यास की कहानी मिल गयी ...<br />रोचक वर्णन ...प्रशासनिक अधिकारी होकर ऐसी निष्पक्ष सोच ....कही कुछ उम्मीद की किरण है तो !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-86863885482006111482010-11-14T23:07:37.472+05:302010-11-14T23:07:37.472+05:30आपके अन्दाज़े- बयां ने उपन्यास पढ्ने की ललक मन में ...आपके अन्दाज़े- बयां ने उपन्यास पढ्ने की ललक मन में पैदा कर दी है। पंकज जी को एडवान्स में मुबारकबाद और आपका आभार।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttps://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-63845089490778877562010-11-12T03:09:30.498+05:302010-11-12T03:09:30.498+05:30हम्म... पढ़ी जायेगी कभी. रोचकता तो बना ही दी है आपन...हम्म... पढ़ी जायेगी कभी. रोचकता तो बना ही दी है आपने. बिन झूठ बोले कहूं तो अगले साल पढ़ ली जायेगी.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-11161852990968640522010-11-11T21:30:35.900+05:302010-11-11T21:30:35.900+05:30ये उपन्यास मैंने आपके घर पर ही आपके पुस्तकालय मैं...ये उपन्यास मैंने आपके घर पर ही आपके पुस्तकालय मैं पढ़ा था. यह एक बहुत ही जानदार उपन्यास है जो की वर्तमान राजनितिक-प्रशाशनिक संस्कृति का शानदार वर्णन करता है. आपकी समीक्षा ने इस उपन्यास की उपयोगिता और बढा दी है. मुझे लगता है समाज के हर जागरूक व्यक्ति को इस उपन्यास का पाठन अवश्य करना चाहिए.सत्येन्द्र सागरhttps://www.blogger.com/profile/04186300981279850032noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-37273966603720030452010-11-11T17:48:46.336+05:302010-11-11T17:48:46.336+05:30परम आदरणीय भैया
बहुत ही उम्दा लिखा इस उपन्यास के ...परम आदरणीय भैया <br />बहुत ही उम्दा लिखा इस उपन्यास के बारे में <br />जरुर ही कोई खास बात होगी<br />आभारPushpendra Singh "Pushp"https://www.blogger.com/profile/14685130265985651633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-24465807170167462782010-11-11T05:01:05.592+05:302010-11-11T05:01:05.592+05:30शायद कभी हवा के पंखों पर चढ़कर यह पहुँचे हम तक
तब प...शायद कभी हवा के पंखों पर चढ़कर यह पहुँचे हम तक<br />तब पढ़ लें हम और आपकी बातों से भी सहमत हो लें<br />अभी सिर्फ़ चर्चायें पढ़ कर अपने मन को बहलाते हैं<br />अगर इनायत हो जाये तो हो सकता है पाठक हो लेंराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-39957503516668472792010-11-10T16:29:52.659+05:302010-11-10T16:29:52.659+05:30आपके ब्लॉग पर पंकज सुबीर जी के उपन्यास की समीक्षा ...आपके ब्लॉग पर पंकज सुबीर जी के उपन्यास की समीक्षा पढ़ी. पात्रों की चर्चा तथा दृष्टान्तों का बढ़े सलीके से सिलसिलेवार उल्लेख पुस्तक को विधिवत पढ़ने के लिए प्रेरित करता है.समीक्षा शुरू से अंत तक पाठक को बिलकुल बांधे रखती है.ये खूबी एक कुशल समीक्षक के क़लम में ही होती है कि वो कैसे grooming करते हुए चलता है.आपकी साहित्यिक रूचि,पंकज सुबीर जी के उपन्यास से परिचय,सब अच्छा लगा.और हाँ,आपका मेरे ब्लॉग पर आना भी अच्छा लगा.आभार.<br />कुँवर कुसुमेश <br />ब्लॉग :kunwarkusumesh.blogspot.comKunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-46538106260644065232010-11-10T13:33:09.414+05:302010-11-10T13:33:09.414+05:30ये वो सहर तो नहीं जुगुप्सा उत्पन्न करती है-समीक्षा...ये वो सहर तो नहीं जुगुप्सा उत्पन्न करती है-समीक्षा में अन्य पहलुओं प्रकाशक ,पृष्ट मूल्य का अभाव खटकता है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-63942616015246687072010-11-10T11:33:07.671+05:302010-11-10T11:33:07.671+05:30पंकज जी के लेखन कौशल से उनके ब्लॉग पर अनेक बार रूब...पंकज जी के लेखन कौशल से उनके ब्लॉग पर अनेक बार रूबरू होने का मौका मिला है...इस उपन्यास की भी इन दिनों काफ़ी चर्चा हो रही है...<br />सिंह साहब आपने भी इस समीक्षा रूपी पोस्ट को बहुत प्रभावी ढंग से पेश करते हुए उत्सुकता पैदा कर दी है.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-3262457673361893512010-11-10T11:21:12.191+05:302010-11-10T11:21:12.191+05:30ग़ज़ल, कवितायें और कहानी ...... पंकज जी की लेखनी क...ग़ज़ल, कवितायें और कहानी ...... पंकज जी की लेखनी किसी परिचय की मोहताज़ नहीं है .....उनका कहानी संग्रह पढ़ कर उनकी विलक्षण कल्पना शक्ति और लेखन विधा से सब परिचित है .... ये उपन्यास अभी पढ़ तो नहीं सका पर आपकी और सभी टिप्पणियों से लग रहा है की आपने उपन्यास की आत्मा को खोज निकाला है ... आशा है जल्दी ही इसको पढने का सौभाग्य मिलेगा .....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-15306631094212458822010-11-10T11:17:06.803+05:302010-11-10T11:17:06.803+05:30मान गये....भैया इतनी खुबसूरत समीक्षा की है उपन्यास...मान गये....भैया इतनी खुबसूरत समीक्षा की है उपन्यास से पहले इस समीक्षा की तारीफ़ नहीं की तो गुनाह नहीं बल्कि गुनाह-ए-अज़ीम होगा.जिस तरह से आपने लिखा है लगता है ''रागदरबारी'' का ''ये वो सहर तो नहीं....''नया अप डेटिड वर्जन है....अब इसको पढना जरुरी हो गया है..VOICE OF MAINPURIhttps://www.blogger.com/profile/16674110616508901300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-752623107227469342010-11-09T21:25:06.746+05:302010-11-09T21:25:06.746+05:30मेरी बात शायद कुछ लोगों को अच्छी न लगे, लेकिन इस ...मेरी बात शायद कुछ लोगों को अच्छी न लगे, लेकिन इस सत्य को नकारा नहीं जा सकता कि प्रशासनिक व्यवस्था का वर्तमान स्वरूप लोकतंत्र का पक्षधर नहीं बचा है। स्वार्थ लोलुपता में बढ़ते हुए कुछ अधिकारियों के कारण एक विचित्र सी स्थिति निर्मित हो गयी है जिसमें प्रतिबद्ध जनसेवक तक घुटन महसूस करने लगे हैं। और कुछ प्रशासकीय अधिकारी 'ये वो सहर तो नहीं' से खुलकर सहमत हैं तो निश्चित ही ये अधिकारी कुछ अलग सोच रखते हैं और अपने सेवा-धर्म को समझ रहे हैं। अगर कुछ अधिकारी भी लोकतंत्र के प्रति खुलकर अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं और मनसा-वाचा-कर्मणा एक ही हैं तो बदलाव अवश्य आयेगा। वो सहर अवश्य आयेगी जो खो गयी है।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-61046523543599854332010-11-09T19:34:39.116+05:302010-11-09T19:34:39.116+05:30pankaj ji bahut achha ye samiksha padh kar bahut b...pankaj ji bahut achha ye samiksha padh kar bahut bahut badhai aapko ....डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) https://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-31858545414082109362010-11-09T19:28:53.930+05:302010-11-09T19:28:53.930+05:30मुलम्मा चढ़ा के बात कहने की बजाय सच कहना श्रेयस्कर...मुलम्मा चढ़ा के बात कहने की बजाय सच कहना श्रेयस्कर होगा| आज के दौर के सुदृढ़-सशक्त हस्ताक्षर, साहित्य के डे-नाइट हिमायती एवम् दूरगामी सोच के वाहक पंकज सूबीर जी को जान कर मुझे चंद दिन ही हुए हैं [यह मेरी कमी है, चूँकि मैं साहित्यिक मुख्यधारा से काफ़ी लंबे अंतराल के बाद जुड़ा हूँ], इसलिए इन के बारे में बहुत कुछ लिखना अभी सम्भव नहीं हो पा रहा| फिर भी, इन चंद दिनों में जो कुछ जान पाया हूँ इन के बारे में, और जैसा कि उक्त समीक्षा में भी वर्णित किया गया है, अब तो मैं भी लालायित हो गया हूँ इस उपन्यास को पढ़ने के लिए|<br /><br />बहरहाल, बहुमुखी प्रतिभा के धनी भाई श्री पंकज सुबीर जी को मेरी तरफ से भी बहुत बहुत मुबारकबाद| ईश्वर आप को कामयाबी की हर बुलंदी को छूने में मददगार साबित हो| साहित्य के प्रति आप का समर्पण बेमिसाल है| समय के साथ साथ आप के बारे में अभी बहुत कुछ जानना बाकी है| आप की सदा ही जय हो पंकज भाई|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-43177778373602848362010-11-09T19:25:29.684+05:302010-11-09T19:25:29.684+05:30BHARTIYA JNANPITH DWARA " YE VO
SAHAR TO -- ...BHARTIYA JNANPITH DWARA " YE VO <br />SAHAR TO -- " KAA PUSASKRIT HONAA <br />HEE SAB SE BADEE UPLABDI HAI <br />UPNYAASKAR SHRI PANKAJ SUBEER KEE .<br />VAH SAMKAALEEN KATHA AAKASH KE <br />DHRUV TARA BANEN , MEREE HARDIK<br />KAMNA HAI.pran sharmahttps://www.blogger.com/profile/14658673113780007596noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-44561730396113153222010-11-09T19:07:46.525+05:302010-11-09T19:07:46.525+05:30काशीनाथ सिंह का भी एक उपन्यास बहुत चर्चित हुआ है, ...काशीनाथ सिंह का भी एक उपन्यास बहुत चर्चित हुआ है, उसे भी पढ़ना है...भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-88237151845355812872010-11-09T19:07:11.758+05:302010-11-09T19:07:11.758+05:30लग रहा है एसडीएम लोगों ने सांठ-गांठ कर रखी है, माम...लग रहा है एसडीएम लोगों ने सांठ-गांठ कर रखी है, मामला आखिर बिरादरी का जो ठहरा (अधिकारियों वाली) :D <br />लेकिन यदि एक पाठक अपनी राय इस प्रकार की दे रहा है तो निश्चित रूप से ही उपन्यास बढिया होगा और यथार्थ के निकट भी.<br />अवश्य पढ़ूंगा..भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-75257899878087584612010-11-09T18:48:16.977+05:302010-11-09T18:48:16.977+05:30पंकज सुबीर जी की विलक्षण प्रतिभा से तो खूब परिचित ...पंकज सुबीर जी की विलक्षण प्रतिभा से तो खूब परिचित हूँ। उनके उपन्यास के बारे मे बहुत चर्चा सुनी मगर अभी पढा नही। आपकी समीक्षा पढ कर उपन्यास पढने की इच्छा वलवती हो उठी है। मेरा विश्वास है कि पंकज सुबीर का नाम साहित्य के इतिहास मे सुनहरे शब्दों मे लिखा जायेगा। उन्हें इस उपन्यास के लिये बहुत बहुत बधाई और आपका धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-41914613709110122932010-11-09T18:40:35.538+05:302010-11-09T18:40:35.538+05:30बहुत उम्दा समीक्षा..जल्द हॊ पढ़ने मिल रही है यह उपन...बहुत उम्दा समीक्षा..जल्द हॊ पढ़ने मिल रही है यह उपन्यास हमें भी.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-62875763629621825592010-11-09T18:30:20.617+05:302010-11-09T18:30:20.617+05:30पूरी समीक्षा को एक सांस में पढ़ गया । क्योंकि ये ...पूरी समीक्षा को एक सांस में पढ़ गया । क्योंकि ये उपन्यास प्रशासनिक व्यवस्था के विरोध में चलता है इसलिये किसी प्रशासनिक अधिकारी की समीक्षा बहुत मायने रखती है । बड़ी बात ये है कि कुछ दिनों पहले ही दैनिक भास्कर में इस उपन्यास की एक समीक्षा श्री अभय अरविंद बेडेकर ने की है जो स्वयं एसडीएम हैं । और अब आप । दोनों ने एक ही स्वर में जो कहा है उससे मुझे लगता है कि उपन्यास अपने आप को ठीक प्रकार से अभिव्यक्त कर पाया है । आपने तो जिसे प्रकार उपन्यास की वो सभी छोटी छोटी बातें पकड़ी हैं उसे देख कर दंग रह गया । लेखक किसी भी कृति को लिखते समय जिस मनोदशा में होता है यदि उसे कोई समीक्षक ठीक प्रकार से पकड़ ले तो लेखक का लेखन सफल हो जाता है । आपने वहीं किया है । समीक्षा को कापी करके ले जा रहा हूं ताकि आपके नाम से आपकी सहमति से प्रिंट मीडिया में उपयोग कर सकूं ।पंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-13055202404582414912010-11-09T18:07:35.195+05:302010-11-09T18:07:35.195+05:30आप मेरी बात से सहमत हुए देख कर खुशी हुई...यकीनन पं...आप मेरी बात से सहमत हुए देख कर खुशी हुई...यकीनन पंकज जी का ये उपन्यास आधुनिक व्यंग लेखन में मील का पत्थर साबित होगा.<br /><br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-603715159604606652010-11-09T17:49:15.785+05:302010-11-09T17:49:15.785+05:30रोचक वर्णन ने पढ़ने की उत्सुकुता जगा दी है।रोचक वर्णन ने पढ़ने की उत्सुकुता जगा दी है।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-43222282471971642342010-11-09T17:12:11.209+05:302010-11-09T17:12:11.209+05:30सब से पहले तो बेहद नाराज़ हूँ आपसे .....मैनपुरी आय...सब से पहले तो बेहद नाराज़ हूँ आपसे .....मैनपुरी आये और बताया भी नहीं ...यह क्या बात हुयी जनाब !? <br /><br />वैसे, बेहद उम्दा रिवियु है ..... आपका बहुत बहुत आभार ! पंकज जी को बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.com