tag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post3334501305322095271..comments2023-08-12T16:22:34.016+05:30Comments on nazariya.....नजरिया.....: नयी ताज़ा ग़ज़ल..........Pawan Kumarhttp://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-90232717477765747462012-03-09T10:39:47.290+05:302012-03-09T10:39:47.290+05:30बेतरतीब सा घर ही अच्छा लगता है,
बच्चों को चुपचाप ब...बेतरतीब सा घर ही अच्छा लगता है,<br />बच्चों को चुपचाप बिठा के देख लिया !!<br />zindaabaad zindaabaadvijendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/12853139040785293151noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-30262853691358220622009-12-04T19:23:28.918+05:302009-12-04T19:23:28.918+05:30ग़ज़ल है तो महफ़िल है, महफ़िल है तो नजदीकियां है, नज...ग़ज़ल है तो महफ़िल है, महफ़िल है तो नजदीकियां है, नजदीकियां है तो मुहब्बत है, मुहब्बत है तो जिंदगी है, तो गज़लों का सिलसिला जारी रखिये ज़नाब.<br />खुदा हाफिज़सत्येन्द्र सागरhttps://www.blogger.com/profile/04186300981279850032noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-39846771247770801072009-11-21T23:26:37.482+05:302009-11-21T23:26:37.482+05:30aapne kitni vastvik sachchai ko gazal ka roop diya...aapne kitni vastvik sachchai ko gazal ka roop diya hai, very niceAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/03377809310220277108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-81309179119509817772009-11-15T17:38:22.414+05:302009-11-15T17:38:22.414+05:30खुद्दारी और गैरत कैसे जाती है,
बुत के आगे सर को झु...खुद्दारी और गैरत कैसे जाती है,<br />बुत के आगे सर को झुका के देख लिया !!<br /><br />इस शेर में वजन ठीक करने के लिए ‘सर को’ की जगह ‘शीश’ कर दें। बाकी पूरी गजल लाजवाब है। आपके इस फ़न से हम वाकिफ़ न थे। अचानक नज़र पड़ी तो दिल बाग़-बाग़ हो गया। बधाई।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-30117111085951672572009-11-12T11:59:59.232+05:302009-11-12T11:59:59.232+05:30फिर से आया था इस नायाब ग़ज़ल का लुत्फ़ लेने...
"...फिर से आया था इस नायाब ग़ज़ल का लुत्फ़ लेने...<br /><br />"कोई शख्स लतीफा क्यों बन जाता है,<br />सबको अपना हाल सुना के देख लिया"<br /><br />वाह हुज़ूर!गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-56523857630193679322009-11-10T16:40:34.333+05:302009-11-10T16:40:34.333+05:30जब जब पलकें बंद करुँ कुछ चुभता है,
आँखों में एक ख्...जब जब पलकें बंद करुँ कुछ चुभता है,<br />आँखों में एक ख्वाब सजा के देख लिया <br /><br />बेतरतीब सा घर ही अच्छा लगता है,<br />बच्चों को चुपचाप बिठा के देख लिया<br /><br />AAPKE KHYAALON KI UDAAN BAHOOT KAMAAL KI HAI .... BAHOOT ACHHA LIKHTE HAIN AAP ... LIKHTE RAHEN ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-20639984177999732722009-11-10T00:52:49.345+05:302009-11-10T00:52:49.345+05:30''वस्ल के इक लम्हे में अक्सर हमने भी,
सदिय...''वस्ल के इक लम्हे में अक्सर हमने भी,<br />सदियों का एहसास जगा के देख लिया !!''<br /><br /> इसे हासिल-ए-गजल कहा जाय तो गलत न होगा |<br /> <br /> यक अच्छी गजल के ताई सुक्रिया ...<br /> <br /> परयास जारी रखौ ...Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-86156921266375817862009-11-09T16:22:11.095+05:302009-11-09T16:22:11.095+05:30खुददारी वाला शेर आपका हासिले ग़ज़ल शेर है। बधाई।
-...खुददारी वाला शेर आपका हासिले ग़ज़ल शेर है। बधाई।<br />------------------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">और अब दो स्क्रीन वाले लैपटॉप।</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">एक आसान सी पहेली-बूझ सकें तो बूझें।</a>Arshia Alihttps://www.blogger.com/profile/14818017885986099482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-67081309002487940852009-11-09T11:38:30.220+05:302009-11-09T11:38:30.220+05:30bahut acchhi ghazal hai,shandar likh rahe ho,keep ...bahut acchhi ghazal hai,shandar likh rahe ho,keep it up,dua lab par to aye bhi post karo,..manishmanishshuklahttps://www.blogger.com/profile/02226554037634166929noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-7145202186853875172009-11-09T08:41:06.045+05:302009-11-09T08:41:06.045+05:30सिंह साहब गज़ल बढिया है लेकिन पाँचवे शेर मे वज़न क...सिंह साहब गज़ल बढिया है लेकिन पाँचवे शेर मे वज़न कुछ गडबड लग रहा है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-10881193374467922262009-11-07T14:43:41.568+05:302009-11-07T14:43:41.568+05:30क्या लिखा है सर ...मेरे पास तो शब्द ही नहीं है आपक...क्या लिखा है सर ...मेरे पास तो शब्द ही नहीं है आपके लिए <br />पर बगेर कहे भी रहा नहीं जाता बहुत उम्दा लिखी है ग़ज़ल <br />खास तौर पर ये शेर -<br />कोई शख्स लतीफा क्यों बन जाता है,<br />सबको अपना हाल सुना के देख लिया !!Pushpendra Singh "Pushp"https://www.blogger.com/profile/14685130265985651633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-63552347065521407032009-11-07T00:07:26.529+05:302009-11-07T00:07:26.529+05:30बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल कही है, जनाब आपने
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चाँद, ब...बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल कही है, जनाब आपने<br />---<br /><a href="http://prajapativinay.blogspot.com/" rel="follow" rel="nofollow">चाँद, बादल और शाम</a>Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-57752561358012188492009-11-06T19:43:56.478+05:302009-11-06T19:43:56.478+05:30खुद्दारी और गैरत कैसे जाती है,
बुत के आगे सर को झु...खुद्दारी और गैरत कैसे जाती है,<br />बुत के आगे सर को झुका के देख लिया !!<br />खूब लिखा भाई.VOICE OF MAINPURIhttps://www.blogger.com/profile/16674110616508901300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-30813719649189616252009-11-06T14:51:26.510+05:302009-11-06T14:51:26.510+05:30अरे सिंह साहब....भई लाजवाब ग़ज़ल है सर। दिल से ठीक त...अरे सिंह साहब....भई लाजवाब ग़ज़ल है सर। दिल से ठीक तरह से तारीफ़ भी नहीं कर पा रहा हूँ।<br /><br />ग़ज़ल को पढ़ते ही जगजीत सिंह की गायी "तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है" की धुन पर इसे गाने लगा मैं तो।<br /><br />जबरदस्त मतला है।<br /><br />तीसरा शेर तो उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़....बस उफ़्फ़्फ़्फ़!!!<br /><br />और चौथा शेर पे हम कुर्बान हो गये।<br /><br />ये दोनों अशआर तो हीरा हैं हीरा जनाब!...शायद आपको भी सही ढ़ंग से अंदाजा नहीं होगा कि आपने क्या बुना है इन दो शेरों के रूप में। थोड़ी-बहुत जितनी भी आज की ग़ज़लें पढ़ी हैं मैंने, उस बिना पर ये दावा कर रहा हूँ।<br /><br />फिर से आता हूँ इस नायाब ग़ज़ल को पढ़ने...गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-58586251351363499862009-11-06T12:24:20.219+05:302009-11-06T12:24:20.219+05:30धमाचौकडी मचाते बच्चे ही अच्छे लगते हैं
एकदम सही ब...धमाचौकडी मचाते बच्चे ही अच्छे लगते हैं <br />एकदम सही बात हैअजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-70518933593422733872009-11-06T12:00:47.166+05:302009-11-06T12:00:47.166+05:30बेतरतीब सा घर ही अच्छा लगता है,
बच्चों को चुपचाप ब...बेतरतीब सा घर ही अच्छा लगता है,<br />बच्चों को चुपचाप बिठा के देख लिया !!<br /><br />इस शेर की जितनी तारीफ़ कीजये कम है...लाजवाब ग़ज़ल कही है आपने...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-11823865202593228452009-11-06T01:30:04.372+05:302009-11-06T01:30:04.372+05:30बेतरतीब सा घर ही अच्छा लगता है,
बच्चों को चुपचाप ब...बेतरतीब सा घर ही अच्छा लगता है,<br />बच्चों को चुपचाप बिठा के देख लिया !!<br /><br />बेहतरीन है ...हर शेर उम्दा!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-24976713552248434202009-11-06T01:28:35.888+05:302009-11-06T01:28:35.888+05:30दिल की बात ग़ज़ल कैसे बनती है ??
आज आपको पढ़ कर हमने ...दिल की बात ग़ज़ल कैसे बनती है ??<br />आज आपको पढ़ कर हमने देख लिया !!<br /><br />भाई जान, बहुत बढ़िया लिखा है ! यु ही लगे रहिये , शुभकामनाएं !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.com