tag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post5093366320227041236..comments2023-08-12T16:22:34.016+05:30Comments on nazariya.....नजरिया.....: लावा के मार्फ़त जावेद अख्तर की वापसी.... !Pawan Kumarhttp://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-61712191363817608592013-12-21T21:07:08.824+05:302013-12-21T21:07:08.824+05:30इस समीक्षा को साभार गद्य कोश पर डाला गया है लिंक ह...इस समीक्षा को साभार गद्य कोश पर डाला गया है लिंक है http://www.gadyakosh.org/gk/%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%BE_/_%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6_%E0%A4%85%E0%A4%96%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B0#.UrW029IW1Wo<br />अशोक कुमार शुक्ला डॉ0 अशोक कुमार शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/14296351917633881911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-54775527911047369942012-07-14T18:49:04.600+05:302012-07-14T18:49:04.600+05:30वाह बहुत खूब सर क्या खूब लिखा है आपने वाकई कमाल कर...वाह बहुत खूब सर क्या खूब लिखा है आपने वाकई कमाल कर दिया बस अब मन कर रहा है जल्द से लावा हमारी पहुंच में आजायेWasim Tyagihttps://www.blogger.com/profile/14554298610233830637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-68811195510670156282012-07-08T19:25:49.293+05:302012-07-08T19:25:49.293+05:30आप एक अच्छे समीक्षक भी हैंआप एक अच्छे समीक्षक भी हैंSulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-42719153294929071052012-07-08T15:01:28.847+05:302012-07-08T15:01:28.847+05:30आपने बहुत गहरे उतर कर समीक्षा की है, वधाई आपकोआपने बहुत गहरे उतर कर समीक्षा की है, वधाई आपको डॅा. व्योमhttps://www.blogger.com/profile/10667912738409199754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-61651783788568890382012-06-29T18:22:52.368+05:302012-06-29T18:22:52.368+05:30‘लावा’ पर आपने डूब कर लिखा है। जिस अदबी परंपरा से ...‘लावा’ पर आपने डूब कर लिखा है। जिस अदबी परंपरा से जावेद अख्तर का ताल्लुक रहा है, उसका <br />शायरी में अहम योगदान है। जावेद का पूरा मिजाज एक मुकम्मल कवि का है। वे बेशक रोजी-रोटी<br />के लिए फिल्मों के लिए गीत या ग़ज़लें लिखें या संवाद और पटकथाएं---अंतत: उन्होंने एक शायर<br />का मिजाज़ पाया है। <br /><br />लावा उनकी शायरी का एक और अहम पड़ाव है। ‘तरकश’ के जरिए उन्होंने लिटरेचर के इलाके में <br />आहिस्ता प्रवेश किया था और अब लावा उनकी शख्सियत का एक और दस्तखत है। मैंने भी हाल<br />में लावा की गजलें और नज्में पढ़ीं। बेशक उनकी गजलों में कुछ अशआर हल्के भी हैं पर नज्मों <br />में जैसे उनकी रूह सुकून पाती है। आपने दूर तक जाकर, उनके फिक्रोफन में डूब कर यह रिव्यू <br />लिखी है। यह शायर और उसकी शायरी के प्रति जुनून का ही नतीजा है। <br /><br />बधाई लें। <br /><br />आपसे मिलना उसी तरह याद रहेगा, जैसा अज्ञेय ने कभी लिखा होगा: अरे यायावर रहेगा याद! <br />आदाब।ओम निश्चलhttps://www.blogger.com/profile/12809246384286227108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-66353334805209903032012-06-29T18:20:17.111+05:302012-06-29T18:20:17.111+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.ओम निश्चलhttps://www.blogger.com/profile/12809246384286227108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-90561548541833369762012-06-26T12:26:58.040+05:302012-06-26T12:26:58.040+05:30bahut achha review,kitab padhne ka man karne lagabahut achha review,kitab padhne ka man karne lagaAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/05086773354386936330noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-80623507624940376402012-06-26T10:34:01.083+05:302012-06-26T10:34:01.083+05:30सिंहजी आपकी टिप्पणी 'मेरे ब्लॉग पर आगमन और कमे...सिंहजी आपकी टिप्पणी 'मेरे ब्लॉग पर आगमन और कमेन्ट करने का धन्यवाद.... मैं आपकी टिप्पणी का अर्थ नहीं समझ पाया.' के प्रत्युत्तर में:<br /><br />Singh SDM जी, मैंने अपनी पिछली टिप्पणी में आपकी बात का ही समर्थन किया था कि 'लावा' के मार्फ़त अदबी प्रशंसकों के लिए कुछ नया लेकर आये हैं। जावेद साहब एक अत्यन्त प्रतिभाशाली मंजे हुए लेखक हैं। यह एक प्रकार से उनकी अपने घर वापसी ही है। और उन्होंने फिल्मों को छोड़ा नहीं है, बस फिल्मों में आज गम्भीर लेखन और साहित्य की गुंजाइश घटती जा रही है। फिल्मों में दिनोंदिन आ रहे सस्तापन से जावेद साहब भी घुटन महसूस कर रहे होंगे। फ़िल्में उनका दूसरा घर हो सकता है, पर अदब या साहित्य उनका अपना घर है, जिसे वह छोड़ नहीं सकते। उनके इसी घर वापसी पर मुबारकबाद दी थी, बस।<br />उनके अदबी प्रशंसकों का इन्तजार थोड़ा लम्बा हो गया था, लेकिन एक उम्दा चीज लेकर आये हैं। बस इसी लिए 'देर आये, दुरुस्त आये...'।<br />इस बात की प्रसन्नता है, आप सभी प्रतिक्रियाओं को इतनी सूक्ष्मता से पढते है।<br />आप मेरे ब्लॉग <a href="www.nirjharlekhni.blogspot.com" rel="nofollow">निर्झर लेखनी</a> पर आयें और प्रतिक्रिया दें, तो प्रसन्नता होगी।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05247690089943209893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-21895321808619982902012-06-26T00:54:56.715+05:302012-06-26T00:54:56.715+05:30चलिए फिल्मों को छोड़ गम्भीर रचना कर्म पर आये तो...द...चलिए फिल्मों को छोड़ गम्भीर रचना कर्म पर आये तो...देर आये, दुरुस्त आये...मुबारकबादAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/05247690089943209893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-53734394074628622492012-06-24T20:27:31.813+05:302012-06-24T20:27:31.813+05:30आपने बड़े जहीन तरीके से जावेद साहब की खूबियों को ...आपने बड़े जहीन तरीके से जावेद साहब की खूबियों को शब्द दिए .मैं खुशनसीब हूँ की आप मेरे करीब हैं .Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-17827835248166504582012-06-24T18:54:59.503+05:302012-06-24T18:54:59.503+05:30बेहतरीन समीक्षा की हे आपने लावा की।
ग़ज़ल कहने का ...बेहतरीन समीक्षा की हे आपने लावा की।<br />ग़ज़ल कहने का अपना अनूठा तरीका हे जावेद साहब का।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-41093247990979829042012-06-24T09:39:53.948+05:302012-06-24T09:39:53.948+05:30जावेद अख़्तर की पुस्तक "लावा'की सम्यक और ...जावेद अख़्तर की पुस्तक "लावा'की सम्यक और बेबाक समीक्षा के लिए साधुवाद ...ओमप्रकाश यतीhttps://www.blogger.com/profile/03097758271779661463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-22082457289270062142012-06-22T11:40:51.524+05:302012-06-22T11:40:51.524+05:30थोड़ी दूर अभी सपनों का नगर अपना,
मुसाफिरों अभी बा...थोड़ी दूर अभी सपनों का नगर अपना, <br />मुसाफिरों अभी बाकी है कुछ सफर अपना...<br /><br />बहुत बेहतरीन समीक्षा...!!<br />समीक्षा को पढ़ने के बाद 'लावा' पढ़ने के लिए मन मचल रहा है...!!<br /><br />आभार...जय हो !!<br /><br />SACHIN SINGHSACHIN SINGHhttps://www.blogger.com/profile/05929538242187806238noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-9451389821829611862012-06-20T06:45:45.084+05:302012-06-20T06:45:45.084+05:30इस कृति से परिचय कराने का आभारइस कृति से परिचय कराने का आभारArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-31507434048389669762012-06-19T17:50:30.090+05:302012-06-19T17:50:30.090+05:30इस समीक्षा के बाद लावा से कोई कैसे दूर रह सकता है ...इस समीक्षा के बाद लावा से कोई कैसे दूर रह सकता है ... लावा जलने लगा है दिल में भी ... किताब ले के ही चैन से बैठेगा अब ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-23700794070240967282012-06-19T10:39:56.050+05:302012-06-19T10:39:56.050+05:30पढते हैं ...
आभार आपकापढते हैं ...<br />आभार आपकाSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-27580170785460668092012-06-19T08:05:29.842+05:302012-06-19T08:05:29.842+05:30समीक्षा ने इस संग्रह को पढने उत्सुकता जगा दी है !समीक्षा ने इस संग्रह को पढने उत्सुकता जगा दी है !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-50151428376643095852012-06-19T05:37:10.604+05:302012-06-19T05:37:10.604+05:30लावा के बारे में एवं पढ़ने के लिए उत्सुकता बढ़ सी ...लावा के बारे में एवं पढ़ने के लिए उत्सुकता बढ़ सी गई है । मेरे पोस्ट पर आपकी उपस्थिति का इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-57610241028880621872012-06-18T23:45:35.233+05:302012-06-18T23:45:35.233+05:30वाह दादा मुबारक हो ... वैसे आपने नीचे लिखा न होता ...वाह दादा मुबारक हो ... वैसे आपने नीचे लिखा न होता तो मैं पूछने वाला था कि क्या यह पोस्ट काफी दिनो तक ड्राफ्ट मे रही है ... खैर जो भी है ... जावेद साहब की शायरी ऊपर से आपकी यह समीक्षा ... जय हो आप दोनों की !<br /><br /><br /><a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/06/blog-post_18.html" rel="nofollow">इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - बुंदेले हर बोलों के मुंह, हमने सुनी कहानी थी ... ब्लॉग बुलेटिन </a>शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-86467316692287371392012-06-18T22:44:24.034+05:302012-06-18T22:44:24.034+05:30बहुत बेहतरीन सुंदर समीक्षा से पढ़ने की बेकरारी बढ़ ग...बहुत बेहतरीन सुंदर समीक्षा से पढ़ने की बेकरारी बढ़ गई ,,,<br /> <br />RECENT POST <a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/06/blog-post_15.html#comment-form" rel="nofollow"> ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,, </a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-41616883092761144842012-06-18T22:18:34.682+05:302012-06-18T22:18:34.682+05:30इस समीक्षा को पढ़ने के बाद तो 'लावा' छूने ...इस समीक्षा को पढ़ने के बाद तो 'लावा' छूने के लिए मन मचल रहा है।..आभार।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1230703632887811097.post-77808632503784414632012-06-18T22:17:52.723+05:302012-06-18T22:17:52.723+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.com