कुछ ज़ख्म कभी नहीं भरते ........................!
जो हुआ अब कभी कहीं न हो............नम आँखों से 26/11 की बरसी पर शहीदों को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि !
(तस्वीर बीबीसी से)
कुछ ज़ख्म कभी नहीं भरते ........................!
जो हुआ अब कभी कहीं न हो............नम आँखों से 26/11 की बरसी पर शहीदों को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि !
(तस्वीर बीबीसी से)
पिछली पोस्ट कई मायनों में मेरे लिए महत्त्वपूर्ण रही........पिछली पोस्ट में मैंने कुछ हायकू आप सबको पढवाए थे......निश्चित ही हायकू लिखना एक कठिन सृजनात्मक प्रक्रिया है.....छोटे फॉर्मेट की इस विधा में लिखना अक्सर आसान नहीं होता.....कभी पूरी बात कहने में चूक हो जाती है तो कभी भाव या व्याकरण वाला पक्ष कमजोर हो जाता है....... ....मेरे उन हायकू के प्रतिउत्तर में मानोसी जी ,उड़न तश्तरी, शरद जी और गिरिजेश राव की प्रतिक्रिया सचमुच सीख देने वाली थीं.......गौतम राजरिशी साब की प्रतिक्रिया हौसला बढ़ने वाली थी......सत्यम, शिवम्, पी सिंह ने उत्साह वर्धन किया.......आप सभी का आभार! हायकू लिखने का क्रम जारी है कुछ पढने- पढ़ाने लायक लिख लूँगा तो आप को पेश करूंगा ...फिलहाल तो एक ग़ज़ल आप सबको पेश रहा हूँ......!
आखिर तज़ाद ज़िन्दगी में यूँ भी आ गए !
फूलों के साथ खार से रिश्ते जो भा गए !!
ऐसे भी दोस्त हैं कि जो मुश्किल के दौर में,
सच्चाइयों से आँख मिलाना सिखा गए !!
जिस रोज़ जी में ठान लिया जीत जायेंगे,
यूँ तो हज़ार मर्तबा हम मात खा गए !!
आँखों में ज़ज्ब हो गया है इस तरह से तू,
नींदों के साथ ख्वाब भी दामन छुड़ा गए !!
नादानियों की नज्र हुआ लम्ह-ए - विसाल,
गुंचों से लिपटी तितलियाँ बच्चे उड़ा गए!!
तुम क्या गए कि जीने की वज्हें चली गयीं,
वो राहतें, वो रंगतें , आबो- हवा गए !!