यूँ तो व्यावसायिक घरानों और गतिविधियों के विषय में मुझे खास दिलचस्पी कभी नहीं रहती मगर फिर भी कभी कभी ऐसा होता है कि न चाहते हुए भी कुछ ख़बरें ध्यान आकर्षित कर ही लेती हैं. आज सुबह का अखबार पढ़ते कुछ ऐसा ही हुआ. खबर थी "कोडक " के दिवालिया होने का..... दरअसल यह खबर मुझे सामान्य खबर से कुछ ज्यादा ही लगी. कोडक शब्द से ताल्लुक उन दिनों से है जब कैमरा को पकड़ना सीखा.... तब फिल्म रोलों का दौर था. कैमरा कोई भी हो रोल "कोडक" का ही पड़ता था. कोडक रोल के कई ब्रांड बाज़ार में उन दिनों थे.......! शादी हो या कहीं घूमने -घामने का कार्यक्रम... कोडक रोल इन यादगार पलों को कैद करने कि ऐसी युक्ति थी जो सहज आवश्यकता की श्रेणी में आती थी. वर्षों तक कोडक रोल ज़िन्दगी के खूबसूरत- बदसूरत यादगार लम्हों को कैद करते रहे. पता ही नहीं चला कब रोल के दौर से हमने कुट्टी कर ली और डिजिटल तकनीक से दोस्ती कर ली. सब कुछ बदलता रहा मगर तेजी से घूमते वक्त में पता ही नहीं चला कि कोडक का दौर कब ख़त्म हुआ और कब सोनी, निकोन, कैनन, ओलिम्पस के साथ फोटोग्राफी का बंधन बंध गया. दिवालिया होने की खबर से कोडक से जुड़ाव याद आया. छोटे कैमरों का आविष्कार कर जिस कंपनी के कारण सुनहरे पलों को कैद करना संभव हुआ, उसके दिवालिया होने की खबर से मुझे एक अवांछित सा कष्ट हुआ..... लगा कि तकनीकें किस कदर अपने पुराने वर्जन को बेरहमी से रिप्लेस कर जाती हैं.... उपयोगिता ही तकनीकों को बनाये रखने का जरिया होती है जिस दिन उपयोगिता ख़त्म, सब कुछ ख़त्म. एक दौर था जब फोटोग्राफी की दुनिया पर कोडक का आधिपत्य था.
ख़बरों से ही पता चला कि ईस्टमैन कोडक की माली हालत इतनी खराब हो चुकी है कि उसने स्वयं दिवालिया घोषित किए जाने की अर्जी दी है. कोडक समय के साथ आधुनिक तकनीक को नहीं अपना पाई. डिजिटल कैमरों के आने के बाद से ही इस कंपनी के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ गई. कोडक कि माली हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि वर्ष 2003 से कम्पनी न केवल 47 हजार कर्मचारियों की छंटनी कर चुकी है बल्कि उसे अपने 13 संयंत्रों को बंद करने पर विवश होना पड़ा है. 80 के दशक में कोडक में करीब डेढ़ लाख लोग काम करते थे. फोटोग्राफी में डिजिटल क्रांति के आने के साथ ही उपभोक्ताओं के लिए कोडक फिल्मों की जरूरत घटने लगी. यह अलग बात है कि इसी कंपनी ने दुनिया का पहला डिजिटल कैमरा इजाद किया था. कोडक कंपनी के ही एक इंजीनियर स्टीवन सैसुन ने 1975 में कोडक के इंजीनियर दस महीने लगातार काम करने के बाद पहला डिजिटल कैमरा तैयार किया था.
अपनी बनी तकनीक ही इस कंपनी कि दुश्मन साबित हुयी. दूसरी कंपनियों ने डिजिटल तकनीक को इस कदर अपनाया कि वे कहीं आगे निकल गए और कोडक की डिजिटल तकनीक पिछड़ गयी. इसी के चलते कंपनी इस हालत में आ खड़ी हुई है.याद दिलाने कि आवश्यकता नहीं कि बेहद सस्ते कैमरे बनाकर इन्हें आम आदमी तक पहुंचाने का श्रेय कोडक को ही जाता है. एक समय फिल्म और फोटोग्राफ इंडस्ट्री में कोडक का दबदबा था, लेकिन कंपनी बदलते समय की जरूरतों के मुताबिक खुद को ढाल नहीं पाई. बताते हैं कि कोडक की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई है कि उसे अपने कर्मचारियों को पेंशन और दूसरे बेनिफिट देने में भी दिक्कतें आने लगी. हालाँकि कहा जा रहा है कि कोडक अब डिजिटल इमेजिंग एवं मैटिरियल साइंस कंपनी के तौर पर काम करना पसंद करेगी. एक जमाने में कोडक फिल्म्स का अमेरिकी बाजार में पूरी तरह एकाधिकार हुआ करता था. वर्ष 1996 में कंपनी के शेयर का भाव 80 डॉलर के उच्च स्तर तक पहुंच गया था.जमाना कितनी तेजी से बदलता है इसका उदाहरण यह है कि ईस्टमैन कोडक कंपनी ने दिवालिया हो जाने की घोषणा की है. कोडक वह कंपनी है, जिसने बीसवीं शताब्दी में फोटोग्राफी की दुनिया में राज किया था, यहां तक कि किसी घटना या व्यक्ति का फोटोग्राफ खींचने को ही ‘कोडक मोमेन्ट’ या ‘कोडक क्षण’ कहा जाने लगा था.
कोडक की समाप्ति की कहानी किसी कंपनी या किसी ब्रांड की समाप्ति की कहानी नहीं है बल्कि यह एक युग के समाप्त के होने जैसा है. पिछली शताब्दी को कैमरे में कैद करने का जलवा और जज्बा कोडक का ही था .....! दूसर विश्व युद्ध हो या भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ..... चाँद पर पहला कदम हो या बर्लिन की दीवार का गिरना .... सब कुछ कोडक के द्वारा ही तो जीवंत और संचित हुआ. सिनेमा के कलर वर्सन में जब ईस्टमैन लिखना शुरू हुआ तो यह कोडक के संस्थापक जार्ज ईस्टमैन के नाम से ही लिखा जाता था. कोडक के उत्थान और पतन की कहानी यह बताती है की इस दुनिया कुछ भी स्थिर और टिकाऊ नहीं..... !!
** (तस्वीर बीबीसी )