गर्म रोटी की महक पागल बना देती मुझे
पारलौकिक प्यार का मधुमास लेकर क्या करें
या फिर
जो डलहौजी न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे
कमीशन दो तो हिंदुस्तान को नीलाम कर देंगे
और ये कालजयी रचना
काजू भुनी प्लेट मे ह्विस्की गिलास में
उतरा है रामराज विधायक निवास में
तुम्हारी फ़ाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आंकडे झूठे हैं ये दावा किताबी है
या
फिर ज़ुल्फ़-अंगडाई-तबस्सुम-चांद-आइना-गुलाब
भुखमरी के मोर्चे पर ढल गया इन का शबाब
लगी है होड सी देखो अमीरों और गरीबों में
ये गांधीवाद के ढांचे की बुनियादी खराबी है
तुम्हारी मेज़ चांदी की तुम्हारे जाम सोने के
यहां जुम्मन के घर में आज भी फूटी रकाबी है
********
घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है
बताओ कैसे लिख दूं धूप फागुन की नशीली है
********
भीख का ले कर कटोरा चांद पर जाने की ज़िद
ये अदा ये बांकपन ये लंतरानी देखिए
मुल्क जाए भाड में इससे इन्हें मतलब नहीं
कुर्सी से चिपटे हुए हैं जांफ़िसानी देखिए
*******
भूख के अहसास को शेरो सुखन तक ले चलो
या अदब को मुफ़लिसों की अंजुमन तक ले चलो
जो गज़ल माशूक के जलवों से वाकिफ़ हो गई
उसको अब बेवा के माथे की शिकन तक ले चलो
वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है
उसी के दम से रौनक आपके बंगले में आई है
इधर एक दिन की आमदनी का औसत है चवन्नी का
उधर लाखों में गांधी जी के चेलों की कमाई है
कोई भी सिरफिरा धमका के जब चाहे जिना कर ले
हमारा मुल्क इस माने में बुधुआ की लुगाई है
रोटी कितनी महँगी है ये वो औरत बताएगी
जिसने जिस्म गिरवी रख के ये क़ीमत चुकाई है
******
फटे कपड़ों में तन ढाके गुज़रता है जहाँ कोई
समझ लेना वो पगडण्डी 'अदम' के गाँव जाती है
*******
न महलों की बुलंदी से न लफ़्ज़ों के नगीने से
तमद्दुन में निखार आता है घीसू के पसीने से
कि अब मर्क़ज़ में रोटी है,मुहब्बत हाशिये पर है
उतर आई ग़ज़ल इस दौर मेंकोठी के ज़ीने से
अदब का आइना उन तंग गलियों से गुज़रता है
जहाँ बचपन सिसकता है लिपट कर माँ के सीने से
बहारे-बेकिराँ में ता-क़यामत का सफ़र ठहरा
जिसे साहिल की हसरत हो उतर जाए सफ़ीने से
अदीबों की नई पीढ़ी से मेरी ये गुज़ारिश है
सँजो कर रक्खें ‘धूमिल’ की विरासत को क़रीने से.
*******
घर में ठन्डे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है
बताओ कैसे लिख दूं धूप फागुन की नशीली है
बगावत के कमल खिलते हैं दिल के सूखे दरिया में
मैं जब भी देखता हूँ आँख बच्चों की पनीली है
सुलगते ज़िस्म की गर्मी का फिर अहसास हो कैसे
मोहब्बत की कहानी अब जली माचिस की तीली है