कल महान स्वतंत्रता सेनानी और आजाद हिंद फौज की कैप्टन लक्ष्मी सहगल का कानपुर में 97 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनका जीवन संघर्ष और मानव सेवा की अद्भुत मिसाल है. एक स्त्री होते हुए भी स्वतंत्रता संग्राम में औपनिवेशिक शक्तियों से मुकाबला करने से लेकर जीवन के अंतिम दिनों तक दीन - दुखियों की चिकित्सा करने तक, उनके व्यक्तित्व को नयी आभा देते हैं.
1912 में एक तमिल ब्राह्मण परिवार में जन्मी लक्ष्मी सहगल ने मेडिकल डिग्री हासिल की और उसके बाद सिंगापुर में गरीबों के लिए वर्ष 1940 में एक क्लीनिक की स्थापना की थी. जुलाई 1943 में जब सिंगापुर में सुभाष चन्द्र बोस ने आज़ाद हिन्द फौज़ की पहली महिला रेजिमेंट का गठन किया जिसका नाम वीर रानी लक्ष्मीबाई के सम्मान में झांसी की रानी रेजिमेंट रखा गया. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अटूट अनुयायी के तौर पर वे इंडियन नेशनल आर्मी में शामिल हुईं. अक्तूबर 1943 को डॉ0 लक्ष्मी स्वामिनाथन 'झाँसी की रानी' रेजिमेंट में कैप्टेन पद की सैनिक अधिकारी बन गयीं. बाद में उन्हें कर्नल का पद मिला तो वे एशिया की पहली महिला कर्नल बनीं. बाद में वे आज़ाद हिन्द सरकार के महिला संगठन की संचालिका भी बनीं. वे 1943 में अस्थायी आज़ाद हिंद सरकार की कैबिनेट में पहली महिला सदस्य बनीं. आज़ाद हिंद फ़ौज की हार के बाद ब्रिटिश सेनाओं ने स्वतंत्रता सैनिकों की धरपकड़ की और 4 मार्च 1946 को वे पकड़ी गईं पर बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया. लक्ष्मी सहगल ने 1947 में कर्नल प्रेम कुमार सहगल से विवाह किया और कानपुर आकर बस गईं. आज़ादी के बाद उनके संघर्ष का स्वरुप बदला और वे वंचितों की सेवा में लग गईं.
वे बचपन से ही राष्ट्रवादी आंदोलन से प्रभावित हो गई थीं और जब महात्मा गाँधी ने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का आंदोलन छेड़ा तो लक्ष्मी सहगल ने उसमे हिस्सा लिया. एक डॉक्टर की हैसियत से वे सिंगापुर गईं थीं लेकिन अपनी अंतिम सांस तक वे अपने घर में बीमारों का इलाज करती रहीं. भारत सरकार ने उन्हें 1998 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया. जीवन के वैभव को त्याग कर दलितों, शोषितों, मेहनतकशों, उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के लिए जीने मरने वाली लक्ष्मी सहगल ने लाखों लोगों को स्वास्थ्य, सुरक्षा, साहस व आत्मविश्वास की सीख दी. कानपुर में उन्होंने दंगों के दौरान दोनों संप्रदायों- समुदायों को समझाने का काम किया. दंगो के दौरान घायलों का इलाज करके मानवता की मिसाल पेश की.
इस महान स्वतंत्रता सेनानी को शत शत नमन !