दिसंबर 17, 2011

100वीं पोस्ट के मार्फ़त आपका शुक्रिया.....!


दोस्तों ...... एक अरसे बाद हाज़िर हूँ. संख्या के तौर पर मेरी यह 100वीं पोस्ट है...... ! 100वीं पोस्ट तक का यह सफ़र वाकई सृजन और संवाद के लिहाज़ से बहुत अच्छा रहा है.
लगभग तीन साल के इस सफ़र में पहली पोस्ट से विगत पोस्ट तक जिस तरह आप सब ने प्यार दिया, ब्लॉग पर नज़र डाली और कमेन्ट प्रेषित किये, उन सबका दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ..... !
एक उलझन थी कि 100वीं पोस्ट किस पर लिखूं.....कई शुभचिंतकों से इस विषय पर सलाह मशविरा भी किया, अधिकांश ने सलाह दी कि नयी ग़ज़ल पोस्ट करिए, अरसे से ब्लॉग पर ग़ज़ल पोस्ट नहीं की. कई ख्याल मन में थे..... कभी सचिन के सौंवें शतक पर लिखने का मन था तो कभी सहवाग के दोहरे शतक पर लिखने का जी चाहा........... कई सृजनधर्मियों की सौवीं वर्षगाँठ भी इस बरस मानी जा रही है, सोचा उन पर लिखूं.... बहरहाल मन की उड़ान पर बंदिशें लगाते हुए अंतत: दो ग़ज़लें पोस्ट कर रहा हूँ.

( हाँ एक बात और इधर 'लफ्ज़' पत्रिका में मेरी कुछ गज़लें प्रकाशित हुयी हैं.... यदि वक़्त मिले तो पढ़िएगा..... प्रतिक्रियाओं का बेसब्री से इन्तिज़ार रहेगा....).

फिलहाल आपकी नज़र यह प्रस्तुति .......------

कुछ लतीफों को सुनते सुनाते हुए
उम्र गुजरेगी हंसते हंसाते हुए

अलविदा कह दिया मुस्कुराते हुए
कितने ग़म दे गया कोई जाते हुए

सारी दुनिया बदल सी गयी दोस्तो
आँख से चाँद परदे हटाते हुए

सोचता हूँ कि शायद घटे दूरियां
दरमियाँ फासले कुछ बढ़ाते हुए

एक एहसास कुछ मुखतलिफ सा रहा
सर को पत्थर के साथ आजमाते हुए

ज़िन्दगी क्या है, क्यों है, पता ही नहीं
उम्र गुजरी मगर सर खपाते हुए

याद आती रहीं चंद नदियाँ हमें
कुछ पहाड़ों में रस्ते बनाते हुए

चाँद है गुमशुदा तो कोई गम नहीं
चंद तारे तो हैं टिमटिमाते हुए

******

जहाँ हमेशा समंदर ने मेहरबानी की
उसी ज़मीं पे किल्लत है आज पानी की

उदास रात की चौखट पे मुन्तजिर आँखें
हमारे नाम मुहब्बत ने ये निशानी की

तुम्हारे शहर में किस तरह ज़िन्दगी गुज़रे
यहाँ कमी है तबस्सुम की, शादमानी की

मैं भूल जाऊं तुम्हें सोच भी नहीं सकता
तुम्हारे साथ जुड़ी है कड़ी कहानी की

उसे बताये बिना उम्र भर रहे उसके
किसी ने ऐसे मुहब्बत की पासबानी की

सादर!

23 टिप्‍पणियां:

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

बधाईयां

शिवम् मिश्रा ने कहा…

१०० वी पोस्ट की बहुत बहुत बधाइयाँ , दादा !

वैसे यह तो सिर्फ़ एक शुरुआत है ... अभी तो बहुत लम्बा सफ़र बाकी है ...

काफी इंतज़ार के बाद आई है यह पोस्ट !

"ज़िन्दगी क्या है, क्यों है, पता ही नहीं
उम्र गुजरी मगर सर खपाते हुए"

क्या बात है ... यही तो सब से बड़ा सत्य है जीवन का ...

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

100 वीं पोस्ट की सादर बधाईयाँ...
शानदार गज़लें....
सादर...

अशोक कुमार शुक्ला ने कहा…

आदरणीय महोदय
सौवी पोस्ट यानी चिट्ठों का सैकडा! आपको बधाई
और एक हजारवीं पोस्ट के लिये अभी से शुभकामनाएं!

आप लिखें हजारों साल
और साल में दिन हों एक हजार!!
शुभकामनाएं!!!

brajesh FAS98 ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद सर जी ! बहुत खूबसूरत शब्दों को उनका उचित स्थान देकर भावार्थ अतिसुन्दर बन गए हैं ,इसमें न केवल मानवीय प्रेम और संवेदनाएं है अपितु मिट्टी की खुशबू भी है !!!!!!!!!

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…






बंधुवर पवन जी

मुबारकां जी …
१०० वीं पोस्ट की बहुत बहुत बधाइयां !

दोनों ग़ज़लें अच्छी हैं …
पहली ग़ज़ल मेरी पसंद की बह्र की होने के कारण कुछ शे'र गुनगुना कर भी आनंद लिया है … … …

एक एहसास कुछ मुख़्तलिफ़-सा रहा
सर को पत्थर के साथ आज़माते हुए

क्या बात है !


साथ ही 'लफ्ज़' में ग़ज़लें प्रकाशित होने पर भी बधाई !


मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार

VOICE OF MAINPURI ने कहा…

सौवीं पोस्ट...लेखन के प्रति समर्पण को दर्शाती है....अव्वल तो पोस्ट लिखना ही अपने आप में किसी मुश्किल से कम नहीं है...उस पर सौ पोस्ट पूरी करना...ये कमाल ही तो है...

डॉ .अनुराग ने कहा…

लफ्ज़ से रूबरू तो नहीं हो पाए पर हो जायेगे ....ये खास पसंद आया .......

उसे बताये बिना उम्र भर रहे उसके
किसी ने ऐसे मुहब्बत की पासबानी की

BS Pabla ने कहा…

जहाँ हमेशा समंदर ने मेहरबानी की
उसी ज़मीं पे किल्लत है आज पानी की


इंसानी ज़ज्बे भी ऐसे ही होते है

100 वीं पोस्ट की बधाई
शुभकामनाएँ

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

बहुत बहुत बधाई सौ वी पोस्ट के लिये.और गजल के लिये.

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

बहुत बहुत बधाई सौ वी पोस्ट के लिये.और गजल के लिये.

तिलक राज कपूर ने कहा…

बधाई सौंवी पोस्‍ट और दोनों प्रस्‍तुति पर।
अलविदा कह दिया मुस्कुराते हुए
ग़म कई दे गया कोई जाते हुए
के अहसास के बाद
सारी दुनिया बदल सी गयी दोस्तो
आँख से चंद परदे हटाते हुए
से होते हुए
सोचता हूँ कि शायद घटे दूरियां
दरमियाँ फासले कुछ बढ़ाते हुए
तक आते आते ग़ज़ल याद दिलाने लगती है एक नामी शायर के एक शेर की:
'इतना न पास आ कि तुझे ढूँढते फिरें
इतना न दूर जा कि हम:वक्‍त पास हो।'

अास पास में ध्‍यान कहॉं रहता है। पत्‍नी को भी यदा-कदा मायके भेजते रहना चाहिये, दूरियॉं कम करने के लिये।
भोपाल में लफ़्ज़ तलाश नहीं पाया अभी तक, आज नैट पर तलाश कर बुक करता हूँ।

वीनस केसरी ने कहा…

बधाई बधाई बधाई

और फिर से

बधाई बधाई बधाई

:)

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

एक एहसास कुछ मुख़्तलिफ़-सा रहा
सर को पत्थर के साथ आज़माते हुए
..वाह क्या बात है।
..सौवीं पोस्ट की ढेर सारी बधाई। लगता है अब सचिन की सेंचुरी बन ही जायेगी। लफ्ज.. इस पत्रिका की मैं भी तलाश कर रहा हूँ।

Arvind Mishra ने कहा…

वाह बहुत उम्दा !शतक के लिए बधाई !!

SACHIN SINGH ने कहा…

CONGRATS..... CHACHA JI FOR YOUR 1OOth UNMATCHED POST.

USE BATAYE BINA UMRA RAHE USKE...
BEHAD KHOOBSURAT AUR ROOHANI JAJBAAT.

LAFZ PATRIKA MEIN KAMAAL KI GAJALS HAI.....YOU ROCKS AGAIN.

WAITING FOR NEXT POST....!!!!

AASMAAN KE AAGE KE AASMAAN AUR BHI HAI... PLZ KEEP IT UP MY MENTOR.

WITH LOVE AND PRAYERS...

Rajpal Singh Chauhan ने कहा…

Dear Pawan Jee.
I am sorry to write this comment in English.I will try to post comments further in Hindi. I don't wonder to see ur so nice Gazals B'coz i know you have more than this in ur self. I wonders only by the fact how you get time to think and write so nice. I have gone through your other posts also. All the posts have very sepcial message.
I wish you all d best for your 100th. post. KEEP it Continue.....

Rajpal Singh Chauhan ने कहा…

Shandar Pawan jee. Wish u all the best for 100th. Post. KEEP IT up.

ओमप्रकाश यती ने कहा…

जहाँ हमेशा समंदर ने मेहरबानी की
उसी ज़मीन पे किल्लत है आज पानी की...अच्छा शे'र और पूरी ग़ज़ल अच्छी.साधुवाद.

SACHIN SINGH ने कहा…

SHANDAR POST...

kaushal ने कहा…

बहुत-बहुत बधाई सर ,इस चिर-प्रतीक्षित मुकाम के लिए !
वास्तव में हम-सब बेसब्र से हो रहे थे ब्लॉग पर आपकी
सेंचुरी देखने के लिए .....ठीक उसी प्रकार से जिस तरह से
सचिन की सौवीं सेंचुरी के लिए आज पूरा देश बेसब्री से
इंतज़ार में है !.....
आपने बड़े ही खूबसूरत अंदाज़ में जो ''दो दिलकश
ग़ज़लों''के माध्यम से अपना सैकड़ा पूर्ण किया है वो वाकई
काबिल-ए-तारीफ है !.......दिल को छू लेने वाले इन शेरों को
भला कैसे भूला जा सकता है .............
''चाँद है गुमशुदा तो कोई कोई गम नहीं ;
चंद तारे तो हैं टिमटिमाते हुए !''.......और ...
''उदास रात की चौखट पे मुन्तजिर आँखें ;
हमारे नाम मुहब्बत ने ए निशानी की !''

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

परम आदरणीय भैया
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल
हर शेर वाह.......वाह
१०० वीं पोस्ट पर
लाखों करोड़ों बधाइयाँ

शरद कोकास ने कहा…

100 वी पोस्ट की बधाई