जून 25, 2020

कुछ स्मृतियाँ कभी धुंधली नहीं पड़तीं । 


37 साल पहले अर्थात 25 जून 1983 को भारतीय क्रिकेट टीम ने आज के ही दिन अपना पहला क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता था। इंग्लैंड के लॉर्ड्स के मैदान पर भारत और वेस्टइंडीज के बीच हुए फाइनल मैच में भारत ने वेस्टइंडीज को 43 रन से हराकर ये विश्व कप जीता था।

इस वर्ल्ड कप में भारत ग्रुप बी में था। इस ग्रुप में भारत के अलावा चैम्पियन टीम वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया और जिम्बाब्वे भी थे। भारतीय टीम का इस वर्ल्ड कप में सफर आसान नहीं था, क्योंकि उसका पहला ही मैच दो बार की वर्ल्ड चैम्पियन टीम वेस्टइंडीज से था। पहले लीग मैच में भारत ने वेस्टइंडीज को 34 रन से हराया। अपने दूसरे मैच में भारत ने जिम्बाब्वे को 5 विकेट से हराया। अगले मैच में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 162 रन से हराया । अगले लीग मैच में भारत अपना मुकाबला वेस्टइंडीज से 66 रन से हार गया। जिम्बाब्वे के साथ हुए अगले मैच में भारत ने अपनी वापसी की और 31 रन से यह मैच जीता । यह वही मैच था जिसमे कपिल देव ने 175 रन की पारी खेली थी । इस मैच में भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी चुनी लेकिन टीम का टॉप ऑर्डर पूरी तरफ फेल हो गया । टीम ने 17 रन पर ही अपने 4 विकेट खो दिए। इसके बाद बल्लेबाजी करने आए कपिल देव ने ने 175 रन की पारी खेली । इस पारी में उन्होंने 16 चौके और 6 छक्के लगाए। कपिल देव की बदौलत टीम इंडिया 266 रन बना सकी। जवाब में जिम्बाब्वे की टीम 57 ओवर में 235 रन पर ही आउट हो गई। भारत ने यह मैच 31 रन से जीत लिया। भारत का अगला मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से था। सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए भारत को यह मैच जीतना बहुत जरूरी था। भारत इस टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया से पहले भी हार चुका था। इस मैच में कपिल देव ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया। टीम की शुरुआत अच्छी नहीं थी और जल्दी-जल्दी विकेट गिरते रहे। इसके बाद भी भारत की टीम 247 रन बनाने में कामयाब रही। लक्ष्य का पीछा करने उतरी ऑस्ट्रेलियाई टीम ने अपना पहला विकेट 3 रन पर ही गंवा दिया। इसके बाद टीम के विकेट गिरते ही चले गए और ऑस्ट्रेलिया ने 100 रन के अंदर ही 7 विकेट गंवा दिए। रोजर बिन्नी और मदनलाल की तेज गेंदबाजी के सामने ऑस्ट्रेलियाई टीम टिक नहीं सकी और 129 रन पर ही सिमट गई। भारत ने यह मुकाबला 118 रन से जीत लिया। 

सेमीफाइनल में भारत का सामना इंग्लैंड से हुआ जिसमें इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत को 214 रन का लक्ष्य दिया। लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम ने 50 रन के अंदर 2 विकेट गंवा दिए लेकिन मोहिंदर अमरनाथ (46) और यशपाल शर्मा (61) ने पारी को संभाला। मोहिंदर अमरनाथ के आउट होने के बाद संदीप पाटिल आए और उन्होंने भी 51 रन की पारी खेली। टीम इंडिया ने 32 गेंदें शेष रहते ही 6 विकेट से मैच जीत लिया। टीम इंडिया पहली बार फाइनल में पहुंची। 

25 जून 1983 को लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में इस विश्व कप का फाइनल हुआ जिसमें भारत का मुकाबला वेस्टइंडीज से हुआ। 30,000 दर्शकों की उपस्थिति में हुए इस मैच में दो बार वर्ल्ड कप का खिताब जीत चुकी वेस्टइंडीज के कप्तान क्लायव लॉइड ने टॉस जीतकर टीम इंडिया को पहले बल्लेबाजी का आमंत्रण दिया। भारतीय टीम का कोई भी बल्लेबाज इस महत्वपूर्ण मैच में बड़ी पारी नहीं खेल सका। टीम के लिए सबसे ज्यादा 38 रन श्रीकांत ने बनाए। टीम इंडिया सिर्फ 183 रन पर सिमट गई। वेस्टइंडीज के पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए यह लक्ष्य बड़ा नहीं था किन्तु उनकी शुरुआत भी खराब रही। टीम ने पहला विकेट 5 रन पर गंवा दिया। इसके बाद वेस्टइंडीज को विवियन रिचर्ड्स (33) ने संभाला। हालांकि, बड़ा शॉट खेलने के लिए विवियन रिचर्ड्स ने जैसे ही मिड विकेट की तरफ शॉट लगाया तो कपिल देव ने कैच लपक लिया। विवियन रिचर्ड्स के आउट होने से मैच भारत के पक्ष में चला गया। उनके बाद कोई भी खिलाड़ी भारतीय गेंदबाजों के सामने टिक नहीं पाया। वेस्टइंडीज की टीम 140 रन पर सिमट गई और टीम इंडिया ने यह मैच 43 रन से जीत लिया।

सादर नमन 1983 की भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाडियों को जिन्होंने हमें पहली बार विश्व विजेता होने का अवसर दिया।

2 टिप्‍पणियां:

sumati ने कहा…

भारतीय क्रिकेट के इतिहास का वह स्वर्णिम दिन था निसंदेह बार बार उस इतिहास को पढ़ने का मन करता ।
हमेशा की तरह बेहतरीन व चुस्त प्रस्तुति ।

सुमति

sumati ने कहा…

और हाँ ये कहना तो भूल ही गया कि वर्ल्ड कप की तरह ४ साल बाद आए हो ।