कल रात मसूरी में जबरदस्त बरसात हुई. हालांकि हमें यहाँ आए लगभग एक सप्ताह होने को जा रहा था लेकिन मौसम में मसूरी वाली बात नही आ पाई थी. रात में बहुत ज्यादा ठंडक भी नही थी और बरसात तो बिल्कुल भी नही थी. हम शाम जैसे ही मॉल रोड पर शौपिंग के मकसद से पहुंचे तो बूंदे गिरना शुरू हो गयी और अगले आधे घंटे के बाद बरसात अपने पूरे शबाब पर थी.हम लोग मॉल रोड पर दुकानों के बहार पड़े हुए शेड के नीचे खड़े हो गए और भीगने से बचने की नाकामयाब कोशिश करते रहे. बहरहाल मसूरी भारत की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है......हर तरफ़ हरियाली...शांत ......महानगरों वाला शोर सुनकर पक चुके कानों के लिए शांत वातावरण ... .
मसूरी मैं पहले भी आ चुका हूँ मगर वो सब दो-चार दिन वाले प्रवास थे...इस बार तो एक लंबा समय यहाँ गुज़रना है......मसूरी को लेकर एक क्लाविता लिखी है शायद आपको पसंद आए....
मसूरी
एक निहायत खूबसूरत दोशीजा
इसकी पेशानी पर सूरज की बिंदी है
तो
तमाम तराशे हुए कुहसार
उसके अल्हड़पन के गवाह हैं.
मसूरी
जब ये सुबह चाँदी के वर्क से
ढके बादलों की चुन्नी ओढ़कर आती है
तो और भी खूबसूरत हो जाती है.
मसूरी
कभी शाम को सिन्दूरी ओढ़नी
पहनती है ....
वाह क्या नक्शबंदी है.
यहाँ की बरसात
ऐसा लगता है
कि मसूरी ने अपने जज़्बात
इसके आब में घोले हैं
मोती से बिखर जाते हैं
जब बरसात होती है
जी चाहता है
इस मीठी मासूम बरसात में ता उम्र भीगते रहें.......
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कुहसार= पहाड़
आब= पानी
नक्शबंदी= आर्ट
13 टिप्पणियां:
Itna khoobsoorat sahar, ham sab bhi dekhne jaldi hi aa rahe hai. Masoori ki khoobsoorat vdiyon me kavitayen banate rahe ham sabhi ko sunate rahe
सिहं साब आपका मसूरी प्रवास यादगार और शुभ हो।प्रकृति के गोद मे जिसे जीना आ जाए उसका जीवन कई माएने मे अपने आप सार्थक हो जाता है।फ़िर आप तो कविता भी करतें है वाह!यह सुखद अहसास \,काश मै भी कवि होता।
शेष फ़िर कभी.....
www.kamiyaa.com
इस खूबसूरत शहर को जितनी बार देखा जाए नया सा लगता है। कई वर्षों से उस तरफ जाना नहीं हुआ, चलो आपके बहाने हमने भी महसूस कर लिया मसूरी को।
bhut ache
likhte rahiye
पर्वतीय स्थल हमेशा से ही मेरी कमजोरी रहें हैं .....बहुत भाग्यशाली हैं आप की मसूरी देख ली ......और उसकी सुन्दरता से कविता का स्त्रोत फूटा ...हिन्दी साहित्य में कविता पक्ष को अपना योगदान देते रहें ....
बहुत खूब. ऐसी जाघ और मौसम में कविता प्रवाह होना स्वाभाविक है. लिखते रहे... कुछ चित्र भी लगाईये.
सिंह साहब, हमने तो बंगलोर में बैठे बैठे ही मसूरी दर्शन कर लिया ....बहुत ही अची कविता है!!!!!!!!!!!
sundar...
मसूरी पिछली सदी में गया था। अब पता नहीं कैसा हो गया होगा। शिमला-कुफ्री में तो काफी शोर बढ़ गया है। पर बरसात में तो पहाड़ काफी सुंदर लग रहा होगा। आपके बहाने हमने भी इन्जॉय किया।
27 aug ke bad aaj jab tumhara blog khola to ummind thi ki dher sara tumhen padhne ko milega ,,,per vyastta tumhari bhi hai aur main bhi yatra per raha lekin kuchh chal nahin paya ..oct main masoori jyada behtar hoga aur bhi behtar rachnayen tum se kara lejayega,,,
sumati
namaskar sir,
prakarti ke paas khoobsurati ka khazana sa hai, yeh ek niyamat hi hai.
aanand lijiye in vadiyon ka , aur ho sake to kabhi lal tibba , kempty fall jaise jagah per ghoom aaiye aapke vicharoon ko nai pankh milenge...........
you got the great sense of humor go on keep it up
nice convincing lines
मंसूरी मेरी जान है .....स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी के टूर्स से लेकर हनीमून तक की मधुर यादें जुड़ी है इस सुन्दरता से,मात्र चार घंटे का रन होने के कारण अक्सर इस तरफ़ खिंचा चला आता हूँ,दोस्तों के साथ कई बार मस्ती के लिए आ जाता हूँ मगर फिर भी एक आध्यात्मिक सा रिश्ता है इस जगह से ..आपकी कविता बहुत अच्छी लगी ,आपको तो यहाँ पर ट्रेनिंग के लिए रुकना है मंसूरी के आस पास बहुत ही सुंदर स्थल है,जो अपने आप में प्रकृति का अनूठा रूप है,आप जैसे लोग मंसूरी में हो ये मंसूरी का सौभाग्य है .....साहित्य सृजन करते रहें ....
धन्यवाद
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