इधर काफी दिनों तक गायब रहा. सच कहूँ तो वक्त नही मिला कुछ लिख पाने का ...मन लगातार करता रहा कि कुछ लिखूं. व्यस्तता ने जैसे व्यक्तिगत जिंदगी के सारे लम्हे छीन लिए बहरहाल अब ब्लॉग पर आमद कर चुका हूँ...
इधर बीते पन्द्रह दिनों में जो दो महत्त्वपूर्ण बातें रहीं ,वे थीं निजामी बंधुओं के कव्वाली प्रोग्राम और अमिताभ दास गुप्ता का नाटक " नयन भरी तलैया" देखने का अवसर मिला.
पहले निजामी बंधुओं पर चर्चा. निजामी बंधुओं की कव्वाली देखने में बड़ा मज़ा आया .भारत की गंगा जमुनी संस्कृति के उस्ताद शायर आमिर खुसरो,बाबा बुल्ले शाह से लेकर समकालीन शायरों जैसे राहत इन्दौरी और बशीर बद्र के शेरों को चुनकर उन्हें कव्वाली में पिरोकर इस खूबसूरती के साथ सुनाया कि हम लगातार वाह वाह करते रहे. मेरे प्रिय शायर आमिर खुसरो साहेब की आल टाइम लीजेंड "मोसे नैना लड़ाए के" तो सुनकर मज़ा आ गया. " मेरे मौला जिसपे तेरा करम हो गया, वो सत्यम शिवम् सुन्दरम हो गया" से आगाज़ करने वाले निजामी भाइयों ने महफ़िल लूट ली.ये गायक निजामी भाइयों के नाम से जाने जाते हैं. ये गायक बंधु सिकंदर घराने से ताल्लुक रखते हैं. यह घराना बीते 700 सालों से कव्वाली गायकी में लगा हुआ है.यह घराना हज़रात निजामुद्दीन और खुसरो साहेब के दरबारी गायकी से सम्बन्ध रखता है सूफी कव्वाली को "कौर तराने " से शुरुआत करते हैं . यह तकनीकी बात मुझे इसी कार्यक्रम में जाकर मिली . हमारे दोस्तों कि मांग पर उन्होंने महान गायक नुसरत फतह अली खान की गई कव्वाली "अल्लाह हूँ, अल्लाह हूँ" तथा ऐ आर रहमान की कम्पोज़ "मौला मेरे मौला" भी सुनाई. अब जबकि लगातार पुराणी संस्कृति से कलाकार दूर हिते जा रहे हैं ऐसे में विगत ७०० सालों की शानदार परम्परा को निभा रहे निजामी बंधुओं की गायकी और उनके हौसले को देखकर अपनी गंगा जमुनी संस्कृति पर हमें गर्व होना स्वाभाविक है.
अमिताभ दास गुप्ता का नाटक " नयन भरी तलैया" देखने का अवसर मिला. यह नाटक सत्ता और आम आदमी के बीच कि दूरी और उनकी प्राथमिकताओं को दर्शाता था. कहानी कुछ इस तरह थी कि एक राज्य में सूखा पड़ा हुआ है तालाब-नदी -पोखर सभी सूख चुके हैं. राजा- रानी इस सबसे बेखबर हैं. अपनी शानो-शौकत की जिंदगी बसर कर रहे हैं. उधर एक गाँव में सुखनी नाम की एक एक लड़की गाँव में एक कुआँ खोदने वाले एक आदमी से प्यार करती है. इसी बीच राजा के दरबार में एक साधू आता है और बताता है कि सूखा से तभी निपटा जा सकता है कि जबकि राज परिवार का कोई सदस्य कुएं में कूद कर अपनी जान दे दे...तब जोर से पानी बरसेगा.....राज परिवार में कोई भी अपनी जान देने को तय्यार नही होता है....रानी तब अपनी कुटिल बुद्धि से राजा को एक उपाय सुझाती है कि क्यों न अपने सबसे छोटे तीसरे पुत्र कि शादी किसी गाँव की लड़की से कर दें और उसको कुएं में कुदा दें इससे राज परिवार भी बच जायेगा और सूखे कि समस्या से भी निपटा जा सकेगा. राजा को यह विचार पसंद आ जाता है और लड़की खोजी जाती है अंतत लड़की सुखनी ही मिलती है.........उससे राजकुमार की शादी की जाती है,और उसे कुएं में धकेला जाता है.....एक दर्द भरा एंड इस नाटक का होता है जो यह सोचने पर विवश करता है कि सत्ता अपने स्वार्थ के लिए किस कदर अंधी हो जाती है... नाटक के सभी पात्र काफी गुंथे हुए थे. लगभग डेढ़ घंटे का यह नाटक शिखर और धरातल के बीच की खाई को स्पष्ट समझा गया.
इधर बीते पन्द्रह दिनों में जो दो महत्त्वपूर्ण बातें रहीं ,वे थीं निजामी बंधुओं के कव्वाली प्रोग्राम और अमिताभ दास गुप्ता का नाटक " नयन भरी तलैया" देखने का अवसर मिला.
पहले निजामी बंधुओं पर चर्चा. निजामी बंधुओं की कव्वाली देखने में बड़ा मज़ा आया .भारत की गंगा जमुनी संस्कृति के उस्ताद शायर आमिर खुसरो,बाबा बुल्ले शाह से लेकर समकालीन शायरों जैसे राहत इन्दौरी और बशीर बद्र के शेरों को चुनकर उन्हें कव्वाली में पिरोकर इस खूबसूरती के साथ सुनाया कि हम लगातार वाह वाह करते रहे. मेरे प्रिय शायर आमिर खुसरो साहेब की आल टाइम लीजेंड "मोसे नैना लड़ाए के" तो सुनकर मज़ा आ गया. " मेरे मौला जिसपे तेरा करम हो गया, वो सत्यम शिवम् सुन्दरम हो गया" से आगाज़ करने वाले निजामी भाइयों ने महफ़िल लूट ली.ये गायक निजामी भाइयों के नाम से जाने जाते हैं. ये गायक बंधु सिकंदर घराने से ताल्लुक रखते हैं. यह घराना बीते 700 सालों से कव्वाली गायकी में लगा हुआ है.यह घराना हज़रात निजामुद्दीन और खुसरो साहेब के दरबारी गायकी से सम्बन्ध रखता है सूफी कव्वाली को "कौर तराने " से शुरुआत करते हैं . यह तकनीकी बात मुझे इसी कार्यक्रम में जाकर मिली . हमारे दोस्तों कि मांग पर उन्होंने महान गायक नुसरत फतह अली खान की गई कव्वाली "अल्लाह हूँ, अल्लाह हूँ" तथा ऐ आर रहमान की कम्पोज़ "मौला मेरे मौला" भी सुनाई. अब जबकि लगातार पुराणी संस्कृति से कलाकार दूर हिते जा रहे हैं ऐसे में विगत ७०० सालों की शानदार परम्परा को निभा रहे निजामी बंधुओं की गायकी और उनके हौसले को देखकर अपनी गंगा जमुनी संस्कृति पर हमें गर्व होना स्वाभाविक है.
अमिताभ दास गुप्ता का नाटक " नयन भरी तलैया" देखने का अवसर मिला. यह नाटक सत्ता और आम आदमी के बीच कि दूरी और उनकी प्राथमिकताओं को दर्शाता था. कहानी कुछ इस तरह थी कि एक राज्य में सूखा पड़ा हुआ है तालाब-नदी -पोखर सभी सूख चुके हैं. राजा- रानी इस सबसे बेखबर हैं. अपनी शानो-शौकत की जिंदगी बसर कर रहे हैं. उधर एक गाँव में सुखनी नाम की एक एक लड़की गाँव में एक कुआँ खोदने वाले एक आदमी से प्यार करती है. इसी बीच राजा के दरबार में एक साधू आता है और बताता है कि सूखा से तभी निपटा जा सकता है कि जबकि राज परिवार का कोई सदस्य कुएं में कूद कर अपनी जान दे दे...तब जोर से पानी बरसेगा.....राज परिवार में कोई भी अपनी जान देने को तय्यार नही होता है....रानी तब अपनी कुटिल बुद्धि से राजा को एक उपाय सुझाती है कि क्यों न अपने सबसे छोटे तीसरे पुत्र कि शादी किसी गाँव की लड़की से कर दें और उसको कुएं में कुदा दें इससे राज परिवार भी बच जायेगा और सूखे कि समस्या से भी निपटा जा सकेगा. राजा को यह विचार पसंद आ जाता है और लड़की खोजी जाती है अंतत लड़की सुखनी ही मिलती है.........उससे राजकुमार की शादी की जाती है,और उसे कुएं में धकेला जाता है.....एक दर्द भरा एंड इस नाटक का होता है जो यह सोचने पर विवश करता है कि सत्ता अपने स्वार्थ के लिए किस कदर अंधी हो जाती है... नाटक के सभी पात्र काफी गुंथे हुए थे. लगभग डेढ़ घंटे का यह नाटक शिखर और धरातल के बीच की खाई को स्पष्ट समझा गया.
10 टिप्पणियां:
नाटक का अंत तो बड़ा ही दुखदायी है किन्तु जिस तरह से इस बिम्ब का इस्तेमाल किया है, कितना ही सशक्त बन पड़ा होगा.
आभार इस समीक्षा के लिए.
आभार इस समीक्षा के लिए.
शासन का वही कुचक्र कमोवेश अब भी जारी है। कहीं यह कुचक्र सर्वकालिक तो नहीं। मर्मस्पर्शी कहानी है।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
khushaamdeed....
sumati
तहे-दिल से इस्तक़बाल है...
आपने काफी अच्छी समीक्षा की हे लेकिन एक बात जो हमें अच्छी नहीं लगी वो हे कि आप कव्वाली और नाटक का आनंद अकेले अकेले लेकर आ गए चलो खैर अब आप सारा वृतांत सुना ही रहे हैं तो हमें कोई दिक्कत नहीं अच्छा लगा पढकर आपको
क्या भाई आप तो ईद का चाँद हो गए. बहुत दिन बाद आपका ब्लॉग पढने का मौका मिल रहा है. अमा कम से कम समस करके तो बता दीया होता. वाकई जनाब आपकी प्रस्तुति का जवाब नही. भरत जैसे देश जोकि चंद पर कदम रखने का ख्वाब देख रहे उनके यहाँ इस तरह की दकियानूसी रवायातो का होना किसी लानत से कम नही है. अभी हम हिन्दुस्तानियो को थोड़ा और वक्त लगेगा इन जलालातो से निकलने में. जनाब मुस्सूरी के हालत कभी कभार ईमेल पर भी बता दीया करो.
आपके दीदार के इंतजार में
apka mere blog me aana prerana ke kabil haia,aapki samiksha behtarin hai.. santh me in dono bandhuoon ka to khas taur se karan yeki muje music se khasa lagaw hai.. iskeliye aapko khasa badhai.. santh me aapko diwali ki dhero shubhkanmanaye...
regards
arsh
Dear pawan g where r u & have u few time to contect & send me ur profile for our website
sagar
09312773765
sagar_64@yahoo.com
wish u a very happy diwali and may it brings happiness and prosperity to you and your family.
एक टिप्पणी भेजें