अक्तूबर 26, 2009

बस तेरा नाम ही मुकम्मल है.............


24अक्टूबर शनिवार शाम से शुरू हुए ओसियान सिनेफ़ैन फ़िल्म समारोह की शुरुआत "गुलज़ार साहब को सम्मानित किये जाने के साथ " होने की खबर बहुत सुखद लगी.......इस बरस की शुरुआत में भी तब बहुत अच्छा लगा था जब ऑस्कर में उनके "जय हो" ने हम भारतीयों
को बरसों की साध पूरी होने का अवसर दिया था. दिल्ली में आयोजित ओसियान सिनेफ़ैन फ़िल्म समारोह में गुलज़ार साहब को सम्मानित किया जाना खुद समारोह की इज्ज़त बढाता है. गुलज़ार साहब पर इतना लिखा गया है कि जब भी कुछ लिखने को जी चाहता है तो लगता है कि यह सब तो लिखा जा चुका है. क्या लिखूं उनके ऊपर.... " मोरा गोरा अंग लई ले " से गीतों को लिखने की शुरुआत करने वाले गुलज़ार अब तक "चड्ढी पहन कर फूल खिला है " जैसे मनभावन बाल गीत से लेकर " कजरारे- कजरारे" तक का लम्बा सफ़र तय कर चुके हैं। गीतकार-फिल्मकार-डायेरेक्टर- साहित्यकार और भी जाने क्या क्या..........गुलज़ार साहब को हमारा इस अवसर पर फिर से एक बार सलाम.....सच तो यह है कि हम हमेशा उन्हें सलाम करने के लिए तैयार रहते हैं....बस कोई बहाना चाहिए।

इस मौके पर बिना उनकी नज़्म के बात अधूरी रहेगी सो आईये उनकी नज़्म के सहारे उनको सलाम भेजते हैं......

नज़्म उलझी हुई है सीने में

मिसरे अटके हुए हैं होठों पर

उड़ते -फिरते हैं तितलियों की तरह

लफ्ज़ काग़ज़ पे बैठते ही नही

कब से बैठा हुआ हूँ मैं जनम

सादे काग़ज़ पे लिखके नाम तेरा

बस तेरा नाम ही मुकम्मल है

इससे बेहतर भी नज़्म क्या होगी-----------------?

17 टिप्‍पणियां:

Arshia Ali ने कहा…

प्यार की इंतेहा इसी को कहते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को प्रगति पथ पर ले जाएं।

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

गुलजार साहब की कलम को नमन। मुझे स्‍मरण आ रहा है न्‍यूयार्क। तब विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन में तीन दिन तक गुलजार साहब रहे थे, हम सब उनका सान्निध्‍य पाकर अच्म्भित हो रहे थे। लेकिन उनका समुचित उपयोग आयोजक नहीं कर पाए, इसका दुख भी था।

ghughutibasuti ने कहा…

बहुत सुन्दर नज़्म पढ़वाई। धन्यवाद।
घुघूती बासूती

Jandunia ने कहा…

खैर ये सही है कि गुलज़ार साहब पर इतना लिखा जा चुका है कि लिखने वाला भी सोचता है कि अब क्या लिखा जाए..लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि गुलज़ार साहब की रचनाओं में इतनी ताजगी और नयापन रहता है कि वो हमें कुछ लिखने का रास्ता दिखा जाता है।

Udan Tashtari ने कहा…

गुलजार साहब की हर बात निराली...

आभार इस उम्दा नज्म को पेश करने का.

Abhishek Ojha ने कहा…

जैसा की आपने भी कहा है... गुलज़ार साहब के बारे में क्या कहा जाय !

अनिल कान्त ने कहा…

सही कहा
इससे बेहतर नज़्म क्या होगी

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बस तेरा नाम ही मुकम्मल है.......

हमारा भी सलाम कलम के इस बेताज बादशाह को ....जिसे लोग गुलज़ार कहते है !

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

isiliye GULJAAR he.../\
umda peshkash

दिगम्बर नासवा ने कहा…

नमन गुलजार साहब को .....AUR AAPKO BHI बहुत सुन्दर नज़्म पढ़वाई ...

अजय कुमार ने कहा…

सुन्दर नज़्म के लिए आपका शुक्रिया

सदा ने कहा…

इतनी सुन्‍दर रचना पढ़वाने के लिये आपका आभार ।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बहुत खूबसूरत बात कही है, पढ कर दिल खुश हो गया। मुबारकबाद कुबूल फरमाएं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

प्रकाश गोविंद ने कहा…

गुलजार साहब की बेशकीमती लाजवाब नज्म पढ़वाने के लिए आपका शुक्रिया !

गुलजार साहब जैसी अजीम शख्सियत पर जितना भी कहा जाए कम ही है !

आभार व शुभ कामनाएं

गौतम राजऋषि ने कहा…

गुलज़ार साब की ये नज़्म मेरी सर्वाधिक पसंदीदा नज़्मों में से एक है।

...और हौसलाअफ़जाई का शुक्रिया एसडीएम साब।

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

बस तेरा नाम ही मुकम्मल है
इससे बेहतर भी नज़्म क्या होगी-----------------?

आपके इन दो lafzon ने wo सब कह दिया जो आप kahna चाहते थे ......!!

'Gulzar' .....nman इस mhaan hasti को ....!!

shikha varshney ने कहा…

Gulzaar saheb ka to koi sani nahi..bahut pyaari nazm padhaai shukriya...
blog par aane ka bhaut shukriya aapka.