जुलाई 16, 2008

जाने तू - dekhi kya

ज़ल्दी में एक पिक्चर जाने तू..... देखने का अवसर प्राप्त हुआ। इस बर्ष जो फ़िल्म आई हैं उनमे अच्छे शिल्प और अच्छी कहानी का बड़ा अभाव रहा है इस कारण फ़िल्म देखने की कोई विशेस इच्छा नही थी मगर पत्नी आग्रह मैं thukra नही सका ...फ़िल्म इतनी अच्छी नही थी की बहुत तारीफ की जाती लेकिन अख़बार में चारो तरफ़ इस फ़िल्म की तारीफ पढने को मिली। प्रसंग वश मैं ये कहना चाहूँगा की मीडिया चाहे वो प्रिंट हो या इलेक्ट्रॉनिक हर जगह चेहरा देख के कसीदे पढने वाली स्थिति मौजूद है। आमिर खान का नाम jude होने की वज़ह से इस फ़िल्म को पर्याप्त फूटेज mइलना ही था भले ही यह फ़िल्म किसी स्तर की न होती। यहाँ यह सौभाग्य था की फ़िल्म औसत से अच्छी थी तो ऐसे में मीडिया को बढ़ा चढा के कहने का पूरा अवशर mila. कहानी में तो कोई nayapan नही था लेकिन कहानी के tantuon को जिस bariki से एक दूसरे में piroya गया है woh kabil ऐ तारीफ है। हीरो imran का look accha है लेकिन अभिनेत्री zeneliya की सहज acting मन mohti है वे एक समर्थ अभिनेत्री हैं और उनमे kafi sambhavnaye मुझे दिखाई दी। फ़िल्म के सारे चरित्र thik से ubhare गए जो हिन्दी फिल्मों में amuman कम होता है jahan हीरो heroen के अलावा किसी भी चरित्र को thik से ukera नही jata। NASIR भाई का मैं zabardast fan हूँ और मैं यह danke की चोट पे कहना चाहता हूँ की उनसे बड़ा actor आज फ़िल्म industry में मौजूद नही है वे इस फ़िल्म में अपने नए रूप में cha jate हैं full marks unhe । ratna pathk नए zamane की माँ में behad perfect हैं.arbaaz और sohail की जोड़ी फ़िल्म का bonus point है। paresh rawal ज़रूर निराश करते है पर इतना तो चलता है। sangeet accha है AR REHMAN का music हमेशा की तरह ही प्रयोग dharmi है। aaditi..... wala song फ़िल्म की जान है abbas tyre wala को उनकी behatreen प्रस्तुति के लिए १० में ७ marks। और अंत में smita patil की यादें ताज़ा कीजिये उनके पुत्र pratik को देख कर......क्या सहज acting की है उन्होंने। "शिल्प की kangali के दौर ऐसी filme भी ख़राब नही लगती"

1 टिप्पणी:

sumati ने कहा…

no post .kya hua ..i m looking forward for your new post..

sumati