आज अखबारों में प्रकाशन विभाग द्वारा एक विज्ञापन देखने को मिला.ये विज्ञापन "जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी " नाम से प्रकाशित हुआ था. विज्ञापन में सूचना दी गयी थी की आज (२५ अगस्त ) को दो क्रांतिकारियों पर दो पुस्तकों का विमोचन किया जा रहा है. ये दो महान क्रांतिकारी हैं- एक खुदीराम बोस और दूसरे राजगुरु. राजगुरु की ये जन्म शताब्दी वर्ष भी है. राजगुरु वो महान क्रांतिकारी है जिन्होंने अपने साथियों के साथ भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष में जबरदस्त योगदान दिया.भारतीय स्वाधीनता संग्राम में तीन नाम अक्सर एक साथ लिए जाते हैं भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव. इतिहास में सुखदेव और राजगुरु को शायद वो स्थान नहीं मिल सका जो भगत सिंह को हासिल है. यह साल राजगुरु की जन्म सदी का है लेकिन सिर्फ उनके गांव को छोड़ कर कहीं भी कोई समारोह शायद ही हुआ हो. इस दिशा में कुछ गंभीर आयोजन किया जाना आवश्यक होगा ताकि नयी पीढी इन अमर बलिदानियों से कुछ सीख सके . राजगुरु का जन्म 24 अगस्त 1908 को महाराष्ट्र में पुणे ज़िले के खेड़ा गांव में हुआ था जिसका नाम अब राजगुरूनगर हो गया है. भगत सिंह और सुखदेव के साथ ही राजगुरु को भी 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी.अब उनकी जन्म शती के अवसर पर भारत सरकार का प्रकाशन विभाग उन पर संभवत पहली बार कोई किताब प्रकाशित कर रहा है. चलिए देर से ही सही लेकिन इस महान क्रन्तिकारी त्रयी के एक अद्भुत सदस्य राजगुरु की सुध तो ली गई. इस सराहनीय प्रयास के लिए न केवल प्रकाशन विभाग धन्यवाद का पात्र है बल्कि उस लेखक को भी कोटि कोटि बधाई है जिसने इस क्रन्तिकारी की जीवन लीला से हमें परिचय कराया है.
2 टिप्पणियां:
धन्यवाद इस अच्छी जानकारी के लिये
अच्छी जानकारी !
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