दिसंबर 14, 2009

.............किनारे टूट जाते हैं


टूटन भी एक प्रक्रिया है जो जीवन में लगातार चलती रहती है.....टूटन नहीं होगी तो सृजन कैसे होगा........कभी दिल टूटता है तो कभी बंदिशें. कभी दरिया की ठोकर से साहिल टूटता है तो कभी ज़रुरत के समय इंसानी भरोसे.......! कभी वादे टूटते हैं तो कभी नाज़ुक से एहसास....! इसी टूटन का भी अपना मज़ा है. एक ग़ज़ल पिछले दिनों इन्ही एहसासों को जेहन में रखकर लिख गयी............सोचा आप सबको भी यह ग़ज़ल नज्र कर दूं................मेरी इस ग़ज़ल के दूसरे शेर का मिसरा उस्ताद शायर जनाब वसीम बरेलवी साहब की एक बहुत मकबूल ग़ज़ल के एक शेर " बहुत बेबाक आखों में ताल्लुक टिक नहीं पाता ,मुहब्बत में कशिश रखने को शर्माना जरूरी है " से मिलता जुलता है. सो यह ग़ज़ल उस्ताद शायर जनाब वसीम बरेलवी साहब के नाम. तो लीजिये साहब हाज़िर हैं ग़ज़ल के शेर .........!


ज़रा सी चोट को महसूस करके टूट जाते हैं !
सलामत आईने रहते हैं, चेहरे टूट जाते हैं !!

पनपते हैं यहाँ रिश्ते हिजाबों एहतियातों में,
बहुत बेबाक होते हैं वो रिश्ते टूट जाते हैं !!

नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं !!

दिखाते ही नहीं जो मुद्दतों तिशनालबी अपनी, ,
सुबू के सामने आके वो प्यासे टूट जाते हैं !!

समंदर से मोहब्बत का यही एहसास सीखा है,
लहर आवाज़ देती है किनारे टूट जाते हैं !!

यही एक आखिरी सच है जो हर रिश्ते पे चस्पा है,
ज़रुरत के समय अक्सर भरोसे टूट जाते हैं !!
( तस्वीर गूगल से साभार )

24 टिप्‍पणियां:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

bahut hi sunder ghazal.....

अजय कुमार झा ने कहा…

बहुत खूब जी बहुत खूब

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

बहुत खूब उम्दा ग़ज़ल बेहतरीन शेर
बहुत -२ आभार

Unknown ने कहा…

bahut achchhi. aapne jindagi ki schchayi samne rakh di hai, shukriya.

VOICE OF MAINPURI ने कहा…

नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं!!

अनुभव और काबलियत से भरपूर ग़ज़ल लिखी.बहुत खुबसूरत है.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

वाह बहुत खूबसूरत रचना.

रामराम.

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

सबसे पहले एक प्रश्न पूछ लूँ ......आपने अपनी प्रोफाइल में अपने आपको 'मेल' लिखा है ....तो फिर इस पंक्ति में ( एक ग़ज़ल पिछले दिनों इन्ही एहसासों को जेहन में रखकर लिख गयी...........) ' गयी ' क्यों लिखा .....?

ग़ज़ल के तो सभी शे'र जोरदार हैं किसकी तारीफ करूँ किसकी न करूँ .......?

ज़रा सी चोट को महसूस करके टूट जाते हैं !
सलामत आईने रहते हैं चेहरे टूट जाते हैं !!
waah ....waah....!!


पनपते हैं यहाँ रिश्ते हिजाबों एहतियातों में,
बहुत बेबाक होते हैं वो रिश्ते टूट जाते हैं !!

ऐसा क्या ...?

समंदर से मोहब्बत का यही एहसास सीखा है,
लहर आवाज़ देती है किनारे टूट जाते हैं !!

बहुत खूब ......!!

एक मेरी जरा सी कोशिश .....
जब भी ख्वाबों के परिंदे लाशों में तब्दील होते हैं
मुर्दा हो जातीं हैं आँखें , अश्क भी रूठ जाते हैं .....!!

Amrendra Nath Tripathi ने कहा…

आपने बड़ी प्यारी गजल लिखी है .. अहसास भी अच्छे और
अंदाजे-बयां भी असरदार .. आपका काव्य व्यक्तित्व संवरता
जा रहा है , मैं इससे बहुत खुश हूँ .. कितनी सच्ची बात कही आपने ---
'' पनपते हैं यहाँ रिश्ते हिजाबों एहतियातों में,
बहुत बेबाक होते हैं वो रिश्ते टूट जाते हैं !!''
.................... आभार ...

Amrendra Nath Tripathi ने कहा…

टूटने का बाद जुड़ने पर भी एक शायर का एक छोटा
लेकिन बहुत बड़ा 'शेर' है , इसप्रकार ---
'' जो यहाँ मिल के भी नहीं मिलता
टूट कर दिल उसी से मिलता है | ''

Vijay ने कहा…

पिछले साल शक्तिनगर में मुशायेरे के आयोजन के वजह से वासिम साहब से रूबरू होने का और शायरी सुनने का सौभाग्य से मौका मिला था |
मैं जब भी आप के ब्लॉग पर visit करता हूँ तो मशहुर व्यक्ति ( बेकन) की कही बात याद आती हैं '
" जब आत्मा के भाव शब्दों का रूप लेकर सत्यम शिवम् सुन्दरम का बोध कराते हैं तो वह सत्य सहिय्त्य बन जाता हैं "
और शायद यह कहने की जरुरत नहीं की मुझे आप के ब्लॉग पर visit करने पर कुछ ऐसा ही प्रतीत होता हैं.
आपके इस सतत प्रयास के लिए आप को कोटिशः धन्ययवाद और साधुवाद |

Regards-Vijay-NTPC

नीरज गोस्वामी ने कहा…

बहुत मुश्किल होता है ग़ज़ल लिखना और ऐसी ग़ज़ल जिसका हर शेर मुकम्मल हो लिखना तो बिना आक्सीजन के माउंट एवरेस्ट पर चड़ने जैसा है और आपने ये कारनामा खूब नहीं बहुत खूब कर दिखाया है...हर शेर इस ग़ज़ल में मोती सा जड़ा चमक रहा है...हर शेर पढने पर जबान पर आता है..."सुभान अल्लाह..."...वाह...वाह...लाजवाब ग़ज़ल.
नीरज

Kajal Kumar ने कहा…

आपके ब्लाग पर पहली बार आना हुआ
भाई आप बहुत अच्छा लिखते हैं.

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

तो आप ''लिख गयी'' नहीं '' लिखी गयी '' लिखते ......!!

तिलक राज कपूर ने कहा…

सबसे पहले तो मैं आपको बधाई देता हूँ आपकी अंतरात्‍मा की ईमानदारी पर। आपने जिस ईमानदारी से वसीम बरेलवी साहब के शेर का संदर्भ दिया है उसके लिये क्‍या कहूँ। कुछ लोग तो जिसकी ग़ज़ल से खयाल मारते हैं (ऐसे लोगों के लिये 'लेते हैं' कहना ठीक नहीं होगा)उसी के सामने अपना (?) कलाम सुना भी देते हैं पूरी दिलेरी से।
आपकी ग़ज़ल पर मुझ नाचीज़ का कुछ कहना (?), बस यही कह सकता हूँ कि जिसे यह जानना हो कि ग़ज़ल क्‍या होती है यह ग़ज़ल जरूर पढ़े। एक बेहतरीन ग़जल जिसका हर शेर पूरी तरह बोलता है।
तिलक राज कपूर

सत्येन्द्र सागर ने कहा…

टूटना और टूटकर फिर जुड़ना ये तो विश्व का नियम है. आपकी ग़ज़ल बौद्ध धर्मं के अनित्यवाद तथा क्षणिकवाद की याद दिलाती है. 'सर्वं क्षणिकं सर्वं अनात्म्कम'. ग़ज़ल के लिएशुक्रिया

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

Ji ho sakta hai mujh mein wo samajh n ho .....shukariya .....!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं !!

समंदर से मोहब्बत का यही एहसास सीखा है,
लहर आवाज़ देती है किनारे टूट जाते हैं..

इतने लाजवाब शेरों के सामने कुछ कहने की ताक़त नही है ........... बस वाह ... वाह ...... सुभान अल्ला ........

Smart Indian ने कहा…

बहुत बढ़िया! ये बरेली वाले शायर लिखते बहुत बढ़िया हैं.

BrijmohanShrivastava ने कहा…

हर शेर काबिले तारीफ़ ।जनाब वसीम बरेलवी साहिब को गुना (मध्य प्रदेश ) के मुशायरे मे सुन चुका हूं तरन्नुम मे गजल पढने का तो जवाब नही.....!

गौतम राजऋषि ने कहा…

उफ़्फ़्फ़्फ़...कोई एक शेर हो तो दो-चार दफ़ा वाह-वाह बोलूं, यहां तो पूरी ग़ज़ल कयामत है पवन साब। क्या लिखते हो सर।

एक तो इतनी मुश्किल रदीफ़ को चुनने का हौसला और तिस पर उसे उतनी ही सहजता से निभाना भी। अहा!

एक बेमिसाल मतले से उतरता हुआ नीचे आता हूँ तो दूसरे ही शेर के जादू में उलझा रहा जाता हूँ देर तलक। पहला मिस्रा, उसकी बुनावट, उसकी पहुँच सब लाजवाब कर जाते हैं और जैसे ही शेर मुकम्मल होता है तो जुबान अनायास ही शायर के लिये "सलामत रहो" की दुआ से नवाजने लगती है। बेमिसाल शेर है पवन सर।

फिर ज्यों-ज्यों नीचे उतरता जाता हूँ शेर-दर-शेर, अंदाजे-बयां, तगज्जुल, रुक्नों की चुस्ती..सब के सब कह रहे हैं मुझसे कि एक कमाल का शायर पैदा हो चुका है कब का और जमाने को खबर भी नहीं।

Asha Joglekar ने कहा…

यही एक आखिरी सच है जो हर रिश्ते पे चस्पा है,
ज़रुरत के समय अक्सर भरोसे टूट जाते हैं !!
वाह ! वाह ! वाह !

Kusum Thakur ने कहा…

बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल , धन्यवाद !

KESHVENDRA IAS ने कहा…

पवन भाई, इस ग़ज़ल ने लाजवाब कर दिया, क्या खूब लिखा है और किस दिलकश खूबसूरती के साथ लिखा है. हर शेर मानों एक बेशकीमती मोती है और इस माला का तो कोई मोल ही नही हो सकता.

KESHVENDRA IAS ने कहा…

Pawan bhai, Orkut ke forum par apki is gazal ke liye jo tippaniyan aayi thi, yahan par de rha hoon-


Gaurav Vashisht
bahut hi behtreen gazal hai ,
pawan ji ko badhai, aapka shukriya share karne ke liye

20 Jan (1 day ago) pravah shukl
sashakt gazal !

20 Jan (1 day ago) Taru
bahuuuuuuuuuuuuuuuuuuuut badhiyaan ghazal share ki hai...aur unhone jo ghazal ki bhoomika mein shabd kahein hain woh to aur bhi sunder aur sateek hain.........

....really thanks a looooooooooot for sharing this ghazal....:)
..badhaayi Pawan ji ko...:):)

20 Jan (1 day ago) ܔܢܜܔमनीष(๏̯͡๏)
@keshvendra
Thanks for sharing such a beautiful ghazal...
Pawan ji ko meri taraf se badhai...


20 Jan (23 hours ago) KESHVENDRA
Shukriya
Pawan ji ki is khoobsurat gazal ko pasand karne ke liye aap sabon ka aabhar, maine un tak aap logon ke shabd pahuncha diye hain or unhe is samuday me ane ka aamantran bhi de diya hai..


21 Jan (17 hours ago) Vandana
keshav ji ..thanku soo much for sharing it ....bahut hi sunder galal hai maja aa gaya padhkar..:)



21 Jan (12 hours ago) sangeeta
पनपते हैं यहाँ रिश्ते हिजाबों एहतियातों में,
बहुत बेबाक होते हैं वो रिश्ते टूट जाते हैं !!

नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं !!


यही एक आखिरी सच है जो हर रिश्ते पे चस्पा है,
ज़रुरत के समय अक्सर भरोसे टूट जाते हैं !!

puri ghazal hi gazab ki hai..par ye sher kuchh jyada pasand aaye....pawan ji ko hamara shukriya pahunchaiyega...aur aapko bhi shukriya jo is ghazal ko padhne ka mauka diya



20:11 (3 hours ago) R@vi Sh@nk@r
Kya mukarrar ghazal share ki hai , bro ! Pawan ji ki kalam jo sazde !

Is ghazal ka har sher haasil-e-ghazal hone ki kuvvat rakhta hai.... Bahut shukriya aapko... is ghazal ko humse baantne ke liye !