पिछला रविवार बड़े मजे का बीता...... लगातार सरकारी काम-काज के बोझ से मन एकदम उचट चुका था, मन हो रहा था किसी शांत -प्राकृतिक सुरम्य वातावरण में एकाध दिन बिताया जाए. परिवार का भी कहीं बाहर चलने का दबाव था.... शनिवार -रविवार का अवकाश लिया (सरकारी मकहमे वाले जानते ही होंगे कि अवकाश ले पाना कितना मुश्किल काम होता है).......!
महज़ दो दिनों में कहीं बहुत दूर जाना मुमकिन नही था सो तय हुआ कि नैनीताल चला जाये......... पास के पास और भरपूर मज़े भी. ऐसा हुआ भी, वैसे भी नैनीताल से बहुत सी यादें मरासिम हैं. नौकरी में आने के बाद पहली बार ट्रेनिंग यहीं कि थी.....प्रशासनिक अकेडमी में, अंजू (अपनी धर्मपत्नी )से भी यहीं मुलाकात हुयी थी. इन्ही सब आकर्षणों के चलते नैनीताल चल दिए......बहरहाल इन दो दिनों का अवकाश का जबरदस्त इस्तेमाल हुआ. मैंने अपने साथी अधिकारी कौशल ‘नीरज‘ को साथ लिया और सपरिवार के साथ नैनीताल रवाना हो लिए. नैनीताल पहुंचे..... नैनीताल में वही मल्ली ताल, मॉल रोड, भीड-भाड, माहौल सब कुछ पुरानी यादें स्मरण करा रहा था. नैनीताल आकर मन प्रसन्न तो था पर तृप्त नहीं हुआ..... सब कुछ दोहराव सा लग रहा था. शनिवार शाम का डिनर ‘इम्बेसी‘ में लेते हुए यह तय किया गया कि नैनीताल को और ‘एक्सप्लोर‘ किया जाए....किसी ऐसी साइट पर चला जाए जो पहले देखी न हो. नक्शा उठाया तो चंद जगहें ऐसी दिखाई पड़ीं जिन पर जा सकने के लिए विचार-विमर्श हुआ..... कौशल का विचार था कि किसी ‘पीक‘ पर चला जाए तो अंजू-मीतू (नीरज की धर्म पत्नी) का मन माल रोड पर शापिंग का था.....मेरा मन भी किसी ‘पीक‘ पर जाने का था. चूंकि बच्चे साथ थे तो यह निर्णय हआ कि किसी ऐसी पीक पर चला जाए जहॉ गाडी से पहुंचा जा सके. अंततः सर्व सम्मति ‘किलबरी पीक‘ के लिए बनी. 'किलबरी पीक‘ अपने समृद्ध प्राकृतिक सम्पदा और मनोरम अवस्थिति के कारण जानी जाती है.... अंग्रेजों ने तो किलबरी के जंगलों को बहुत एन्जॉय किया है....!!!!!
रविवार प्रातः नैना देवी के मन्दिर के दर्शन करने के उपरान्त हम सब ‘इनोवा‘ में कैद हुए किलबरी के लिए निकल पड़े. इसी बीच बीती राज मैंने स्थानीय डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट आफीसर से बात कर ‘फारेस्ट गेस्ट हाउस‘ के लिए कह भी दिया था. नैनीताल से किलबरी लगभग 13किमी0 दूर है. हौले-हौले चलते हुए प्रकृति की गोद में तराई और भाभर क्षेत्रों वाले वातावरण का आनंद लेते हुए किलबरी तक का ये एक घण्टे का सफर बडा मजेदार रहा. पूरे रास्ते भर हम हिमालय श्रेणी के पर्वतो से सटकर चलते रहे. रास्ते भर 'ओक' और 'पाइन' के दरख़्त रहबरी सी करते रहे....अद्भुत फ्लोरा-फोना के बीच से चलते हुए किलबरी तक का यह सफर बहुत मनोरंजक रहा. बीच में रूक कर एकाध जगह चाय पी.....बच्चों ने ‘मैगी‘ ली.(इस मैगी में चन्द नूडल्स हमने भी चखे..... वैसे मैं आज तक यह नहीं समझ पाया हूं कि पहाडों पर ‘मैगी‘ इतनी अच्छी क्यूं लगती है). बहरहाल पॉच-छः कि.मी. के बाद रास्ता संकरा होता गया. रास्ते भर नए-नए किस्म के पेड-पौधों से साबका पडा. ऊँचे- ऊँचे पेड़ों के बीच झुरमटों के बीच चलने का अनुभव बहुत यादगार रहा. किलबरी अपने जंगल, वृक्षों, फ्लोरा-फौना, प्राकृतिक वातावरण और विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तुओ के लिए जाना जाता है. प्रकृति प्रेमियों के लिए यह जबरदस्त आकर्षण वाली जगह है. किलबरी में 600 से भी अधिक प्रकार की ‘बर्ड-स्पेशीज‘ पायी जाती है. ‘बर्ड-वाचिंग‘ के शौक़ीन रास्ते में ‘वाइनाकुलर‘ लिए दिखाई पडे. दो-तीन घण्टो के यत्र-तत्र भ्रमण के पश्चात् हम पहुंचे किलबरी के फॉरेस्ट गेस्ट हाउस में.....इतनी ऊँचाई पर इतने खूबसूरत गेस्ट हाउस को देखकर प्रथम दृष्टया तो विश्वास हीं नहीं हुआ.
चूंकि हमारे आने की खबर गेस्ट हाउस के अटेण्डेण्ट को थी सो वह दौडकर आया, दरवाजा खोला, अन्दर ले गया. गेस्ट हाउस देखकर मन रोमांच से भर गया...... सौ साल से भी पुराने इस गेस्ट हाउस की साफ-सफाई ऐसी थी कि कुछ भी दस साल से ज्यादा पुराना नहीं लग रहा था. लकडी के धरनों पर टिकी हई छत, स्लोपदार छत, कमरे के अन्दर मजबूत लकडी का फर्नीचर, अलाव....सब कुछ मन को तृप्त कर देना वाला. इस ऊँचाई से हिमालय श्रेणी का दर्शन मन्त्रमुग्ध कर देने वाला था. चाय की चुस्कियों के बाद हम सबने खूब फोटोग्राफी की....1890 के एक फोटो की नकल कर हमने भी एक फोटो लिया (चस्पा भी किया गया है) !
2500मीटर से भी ज्यादा ऊँची इस चोटी पर रविवार का दिन बिताना एक यादगार यात्रा रही. प्रकृति की गोद में बैठकर बच्चों की तरह खेलने का यह आनन्द सदैव याद रहेगा. पता नहीं दुबारा आना कब होगा मगर यह सुनिश्चित है कि 'किलबरी के जंगलो' की यह यात्रा हमेशा हमेशा ज़ेहन में बनी रहेगी.
22 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर यात्रा वृत्तांत।
बढ़िया सैर कराई ... दादा !
रोचक वृत्तांत!
सुन्दर चित्र
सुन्दर वृत्तांत |
चित्त निर्मल
अत्यंत शांत ||
बहुत रोचक वर्णन...और फोटो भी लगाइए.
नीरज
बहुत सुंदर चित्र ब यात्रा वृत्तांत।
मै भी इस इलाके में होकर आया हूँ।
कम से कम दस फ़ोटो लगाया करो
प्रकृति के करीब जाना हमेशा ही सुखद होता है. अच्छा वृतांत.
किलबरी की किलकारियां -अनुगूंज यहाँ तक सुनायी पडी !
बढियां वृत्तांत!
Sundar yatra vratant.kuch photograph aur hote to hum bhi puri sair kar lete. Sundar chitran ke liye badhai
सर बहुत सुन्दर वर्णन किया है ये बहुत रोमांचकारी यात्रा थी किलबरी के जंगल बहुत शानदार थे ये ट्रिप मेरे जीवन की सुनहरी यादों में से एक है
नैनीताल से किलबरी के जंगल की यात्रा अत्यंत रोचक रही !
बीच -बीच में हो रही बारिश और घने बादलों का आना -जाना
माहौल को और भी खुशनुमा बना रहा था ! उसपर पवन जी
का साथ ;.....जैसे सोने पर सुहागा !
DEAR CHACHA JI,
THIS IS ONE OF THE MOST BEAUTIFUL POST ON
THIS UNIQUE BLOG......
I CAN FEEL THE BEAUTY OF PLACE WITH THE HELP OF YOUR BEAUTIFUL EXPLANATION......
MAY GOD YOU WILL ACHIEVE ALL THE PLEASURE, PEACE AND LOVE OF THIS BEAUTIFUL PLANET.......!!!!!!
DEAR ISHIKA,YOU ARE LOOKING LIKE A INNOCENT PRINCESS.......
THANKS FOR YOUR MATCHLESS POST..
WITH LOVE AND PRAYERS.....!!!!!
रोचक यात्रा वृतांत.. लगाकि इस सफर में मैं भी साथ हूं।
बहुत सुंदर
भैया सादर प्रणाम
बहुत सुन्दर यात्रा वृतांत
आपके साथ साथ इस सैर का आनंद हमने भी ले लिया ..
jab padh kr itna achchha lagraha hai to aapsabhi ko kitna aanand aaya hoga ?
sunder varnana
rachan
लगा जैसे मै भी नैनीताल घूम आया हूं ।
बहुत सुन्दर भाई जी. हमें भी अपने साथ ले लेते
dilchasp...need more snaps..
सुन्दर चित्र सुन्दर वृत्तांत |
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