जुलाई 23, 2011

बीते हुए लम्हों की कसक साथ तो होगी......!





फिर से तबादला...... अब गौतम बुद्ध नगर के लिए जाने का फरमान हो गया है. प्रदेश की प्रगति के मानकों के आधार पर शायद सबसे प्रगतिगामी शहर में अगला पड़ाव होगा. बदायूं से विदा हो लिए....... मगर बदायूं को छोडते वक्त एहसास हुआ कि इस कम समय में ही इस शहर से कितना लगाव हो गया था.......!

वैसे भौगोलिक रूप से देखा जाए तो बदायूं उत्तर प्रदेश के नक्शे पर तराई के उस इलाके के रूप में जाना जाता है जो वर्षाधिक्य क्षेत्र है. समूचा क्षेत्र गंगा रामगंगा जैसी बडी नदियों से घिरा हुआ है.गत वर्ष जब मैं बदायूं पहुंचा था तो यह क्षेत्र बाढ से घिरा हुआ था, तत्काल आपदा राहत कार्यक्रमों से जुडना पड़ा, महीने दो महीने में जैसे तैसे बाढ की तबाही कम हुई तो पंचायत चुनाव सिर पर खड़े हुए और उसके बाद फिर एक के बाद एक चुनौती भरे काम..........! बहरहाल मैं इस समय सरकारी कामों की फेहरिस्त में नहीं पड़ना चाहता....! ये सब तो चलता ही रहता है ! फिर से एक बार बदायूं के बारे में.... बदायूं दर असल पुरानी रवायतों का शहर है. इतिहास गवाह है कि दिल्ली सल्तनत से लेकर मुगलों के समय तक यह क्षेत्र कृषि उत्पादन के लिहाज़ से उपजाऊ इलाके के रूप में अपनी पहचान रखता था . बदायूं अपने समय में यह महत्वपूर्ण 'इक्ता' (सैनिक इकाई ) के रूप में जाना जाता था. बदायूं की एक महत्वपूर्ण पहचान इसकी सांस्कृतिक गतिविधियों से भी है.कव्वाली, गजल, सूफी गायन, तबला वादन जैसी विधाओं में बदायूं के हुनरमंदों ने अपनी महत्वपूर्ण पहचान बनाईहै .....! पद्म् भूषण उस्ताद् निसार हुसैन से लेकर महान गीतकार शकील बदायूंनी , गीतकार उर्मिलेश , डा0 वृजेन्द्र अवस्थी से लेकर आज के समय के उस्ताद गायक राशिद खान ( जब वी मेट फेम....... आओगे जब तुम साजना के गायक ) बदायूं की पहचान को और भी पुख्ता करते है.......! विकास की आपाधापी से दूर इस छोटे से शहर (वैसे माफ कीजिएगा........आबादी और क्षेत्रफल के हिसाब से यह उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जिलों में से एक है)!

बदायूं में
तो सीमेन्ट कंक्रीट के जंगलात है और तेज भागती कारों की आवाजें........! सच तो यह है कि शाम के बाद पूरा शहर जैसे उनींदा सा हो जाता है ......... ! ऐसा महसूस होता है कि गंगा के तट से टकरा कर हवाएं आती हैं और पूरे शहर को नींद के झोंके में ले लेती हैं. कोई माल कोई रेस्तरां और कोई बहुमंजिला अपार्टमेन्ट.......! यह भी कहा जा सकता है कि बस किसी गाँव के आकार को कुछ 'इनलार्ज' कर दें तो बदायूं की शक्ल आप बन जायेगी...!

इस शहर में कुछ ऐसे लोगों से रिश्ते बने जिनसे दिली जुड़ाव हो गया. अमित गुप्ता जी, उदयराज जी, मनोज कुमार,प्रदीप , अक्षत, नियाजी, अकरम, हसीबसोज, राजन मेहरीरत्ता, रोम्पी, किशन, दीक्षित,जहीर, अब्बास ..............जैसे लोग बदायूं में जुड़े. यह जुडाव दिन ब दिन और भी गहरा होता गया. नए साल पर धमाकेदार 'कल्चरल इवनिंग' रही हो या होली पर रंग बिखरे हों..... ककोडा का परंपरागत मेला रहा हो या हर इतवार को क्रिकेट का मजमा........नियाजी के तबले की थाप हो या कुमार विश्वास की कविताओं का खुमार .........सब कुछ इसी बदायूं की सरजमीं पर हुआ........! इन लोगों के अलावा मैं दो लोगों का नाम और लेना चाहूँगा बल्कि यूं कहिए कि दो युगलों के नाम लेना चाहूँगा जिनकी संगत ने बदायूं प्रवास को और खुशगवार बना दिया........... ये दो युगल थे बृजेश /विनीता और नीरज / मीतू ऐसा लगा कि ये दोनो युगल हमारे घर परिवार के ही अभिन्न सदस्य हैं
.... खाने-पीने-उठने-बैठने-चलने-घूमने से लेकर सांस लेने तक की कवायद साथ-साथ......!

बहरहाल,
हम मुलाजिमों के लिए तबादला एक सतत प्रक्रिया है. बदायूं में जो भी वक्त गुजरा, वो अपने पुराने दिनों में लौट जाने वाला एहसास था. ये वो अहसास था जो इस बात को और पुख्ता करता है कि जिन्दगी कहीं है तो वो 'दिखावे- आपाधापी- चकाचौंध" से हटकर है.....! अब जबकि गौतमबुद्वनगर(नोएडा-ग्रेटरनोएडा ) जाने का फरमान हुआ तो बदायूं से बिछुडने का गम तारी है, मगर यह मानते हुए कि तबादला तो सरकारी नौकरी का यह हिस्सा है......... चल दिये है गौतमबुद्वनगर की ओर.........! देखते हैं कि इस नए पड़ाव पर क्या कुछ होता है ! मगर यह सुनिश्चित है बृजेश की उन्मुक्त हंसी, नीरज की समृद्व शब्द सम्पदा और उसका तत्क्षण प्रयोग, विनीता के हाथें के करेले, नियाजी के तबले के तीन ताल का स्वर, पीहू के अंकल कहने का अन्दाज और मीतू की बेक्ड वेजीटेबिल लम्बे समय तक जेहन में रची बसी रहेगी.....!

विश्वास है कि दुनिया छोटी है और गोल है........ सो उम्मीद कि फिर मिलेंगे बल्कि जरूर मिलेगें, लेकिन भी तो यही एहसास साथ है कि 'बीते हुए लम्हों की कसक साथ तो होगी......'!!!!!

11 टिप्‍पणियां:

meetu ने कहा…

सर बहुत दिनों से आपके इस कॉलम का इंतज़ार कर रही थी,रोज़ की तरह आज आपका ब्लॉग खोला तो बदायूं को आपकी नज़रों से देखा,इस छोटे से शहर में इतने उम्दा कलाकार हैं ये वाकई गर्व की बात है... .. !आप लोगों का यहाँ से जाना कितनी तकलीफ दे गया है ये तो हमलोग ही जानते हैं!!!! आपका ब्लॉग पढ़कर आज मेरे आखों में आंसू आ गए,wo दी के साथ हर बात शेएर करना ,शाम की मस्ती ,में ये सब हर रोज़ मिस करती हूँ!आप लोगों ने जीवन जीने का तरीका सिखाया !हमारी बेजान सी कालोनी में न जाने कितने रंग भर दिए, प्यार,दोस्ती अपनापन, मस्ती,!!!दीदी ने हम सबको एक दुसरे से जोड़ दिया,हमतो एक ऐसे प्यारे बंधनमें बांध गए हैं जो शायद इस जीवन में नहीं छूटेगा, इस शहर ने मुझे मेरी दी से मिलादिया ये में कभी नहीं भूल सकती !a

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

परम आदरणीय बड़े भैया सादर प्रणाम

बहुत अच्छा रहा आपका बदायूं सफ़र
और आप तो हर सफ़र को आसान
बनाने की कला जानते है |
आपको और आपके साथ सफ़र में आये सभी लोगों को दिली
बधाई

kaushal ने कहा…

नमस्कार सर ,आज आप का ब्लॉग पढ़ने का मौका मिला !
पढ़कर बीते हुए लम्हों की कसक फिर साथ हो गयी !आपने
बहुत ही खूबसूरत अंदाज़ में अपने बदायूं प्रवास के बारे में
बयां किया है !.......आपकी ज़र्रानवाज़ी का हम तहे-दिल से
एहतराम करते हैं !.....ज्यादा कुछ न कहकर बस इतना
अवश्य कहना चाहूँगा कि आपके जाने के बाद हमें यह पता
चला कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम के अयोध्या से जाने के बाद
अयोध्यावासियो को कैसा लगा होगा !.........और जाते समय
का मंज़र तो भूले से नहीं भुलाया जा पाता है ...अत्यंत ही
भावुक पल थे वो ....आलमे -रुखसत को किसी शायर के इन
ज़ज्बातों से बयां किया जा सकता है ..................................
सबसे छुपा के दर्द जो वो मुस्कुरा दिया ;
उसकी हंसी ने आज तो मुझको रुला दिया !

लहजे से उठ रहा था हरेक दर्द का धुंआ ;
चेहरा बता रहा था कि सब कुछ गवा दिया !

आवाज में ठहराव था आँखों में थी नमी ;
और कह रहा था मैंने सब कुछ भुला दिया !

खुद भी बिछुड़ के हमसे अधुरा सा हो गया ;
मुझको भी इतने लोगों में तनहा बन दिया !!

सत्येन्द्र सागर ने कहा…

excellent brother

सत्येन्द्र सागर ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
अशोक कुमार शुक्ला ने कहा…

Badhai ho sir. Aap pradesh ke vikas ki kendriya dhuri me jo ja rahe hai.
Lekin badayun ke baare me jo kuch aap.e likha weh sachmuch gahree parakh aur pai.i najar rakhane waaala hi likh sakta hai.
Punah badhi.

SACHIN SINGH ने कहा…

MY MENTOR, GOOD AFTERNOON.....!!!!
GREAT POST WRAPPED WITH LOVE HAPPINESS AND COUNTLESS EMOTIONS... AS MEETU BHABHI SAID, YOU TAUGHT TIMELESS LESSONS OF LOVE & JOY...

AAP TO DARIYA HAI AAPKO APNA HUNAR MALOOM HAI...
JIS TARAF BHI CHAL PADEGE RAASTA
HO JAAYEGA......

BEST WISHES FOR YOUR NEXT JOURNEY...

brajesh FAS98 ने कहा…

thanks you sir. intution kah raha hai ki kitani common anubhutiyan hai.mere liye esse jyada soubhgagya ki bat aur kuchh nahin ho sakti ki apke sath etne acchhe pal vitane ka mauka mila.

brajesh FAS98 ने कहा…

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czts'k fouhrk ekulh


Brajesh shakya

kaushal ने कहा…

दिल आज शायर है ;गम आज नगमा है !

kaushal ने कहा…

sir bataen ki ye kis cricket team fit hai:"dekho ye kambakht gubbhare,chand sanson men fool jate hain;Thodi si hawa kya bhar di apni aukat hi bhool jate hain. Brajeshshakya