जुलाई 13, 2008
मेरे दोस्त
मैं ये कहना चाहता हूँ की जिंदगी में जिन चीज़ों की ज़रूरत सबसे ज्यादा होती है उनमे दोस्तों को भी शामिल किया जाना बेहद ज़रूरी है। दोस्तों की ज़रूरत आपको उस समय सबसे ज्यादा होती है की जब आप उदास होते हैं या फ़िर कि जब आप काफी खुस होते हैं। वक्त पर दोस्तों का काम आना आपके लिए तसल्ली देने वाला लम्हा होता है। दोस्ती के बारेमें एक बात और ,दोस्ती हमेशा तभी होती है जब आप निस्वार्थ तरीके से किसी से जुड़ते हैं शायद इसी वज़ह से आपकी सभी पक्की dosti bachpan में ही होती hain। मैं अपने जीवन में कुछ दोस्तों का बहुत kayal हूँ कि jinhone कठिन वक्त में और खुशी के lamhon में मेरा साथ दिया। दोस्तों से आप woh हर बात शेयर कर सकते हैं जो किसी से भी नही कर सकते। मेरे bachpan के दोस्त sanjiv manoj nandu santu pankaj mohit vikrant हैं सर्विस में आने के बाद sumati सागर पवन sachan संतोष शर्मा vikash ऐसे दोस्त हैं जो मुझे काफी पसंद हैं। मेरी wife anju मेरी acchi दोस्त है । maze की बात ये है की मेरे तीन भाई हैं और उनसे मेरे relation भी बहुत dostana है । bhagwan मेरे दोस्तों को हमेशा salamat रखे.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
9 टिप्पणियां:
bhut badhiya.
vartman samay me nazariya badalta ja raha hai ab 100 me se 5 ya 10 hi sahi dost hote hoge.
bahut sahi nazariyaa,main sahmat hun....
main apne aap ko khush nasib manta hun ki main bhi kisi ka dost hun..ajiz hun kisi ka..yun hi nahi main apne bare main -ve hun..balki bahut thos wazhen hain ..vo bad main ..lekin sachhe dost nahin bante ...kya puri emandari hum blog per barten ...shayad ye sms ya ek call nahin hain we opted this means of comm,just to say what exactly we can take from our mind rather state of mind to the blog reader..sach ye hai ki humen apni suvidh ke anusar alag alag sambandhon par alag alag samy per pyar aata hai...hum un secnds main uske behad karib hote hain...dost,bhai,pattni... aur phir.... apni duniyan main jahan hum aur hamara main (ego)work karte hain.....lekin jin ek adh par pyar aata hai un main aap shamil hain to bahut kuchh zinda rehne ki vajah bante hain, work karne ki insprtion bante hai...
bachhpan ya ladakpan ki dosti ...main manta hun ki ..samay ke sath pass ane ghanishth hone se viswash ki bangi jyada kehti hai...tum mujhe bahut priya ho ....aur main tumhare etna nazdik hun ki ek do din main main tumhen different vazhon se yad aata rehta hun etna kafi hai...pyar ko pyar hi rehnedo koi nam na do
apne nazariye se tumhara
sumati
Lagta hai apki life me koi acha dost mila hai jo baad me bichad bhi gaya lagta hai
आपकी भावना अच्छी हैं। विश्व को मित्रों की जरूरत है, शत्रुओं की नहीं। यदि सबके प्रति हमारा नज़रिया मैत्रीपूर्ण हो जाए तो विश्व कितना सुखद होगा! यदा कदा मतान्तरः एक राजनीतिक ब्लॉग पर भी आते रहें।
bane chahe dushman zamana hamara salamat rahe dostana hamara. i am proud to be your friend.
सही है। इसी के लिये कहा है:
जब मुसीबत पड़े और भारी पड़े
कोई तो एक चश्मेत़र(भीगी आंख) चाहिये।
दोस्ती पर आपके विचार से मैं पूर्ण सहमत हूँ .
' निःस्वार्थ ' वाली बात मार्के की है ..
क्या करूं बाबा तुलसीदास ने कहा है .. :) :) :)
'' सुर नर मुनि सबकी यह रीती |
स्वारथ लाग करैं सब प्रीती || ''
शायद '' स्वारथ '' की व्यापकता बहुत ज्यादा और
सात्विक-किस्म की है बाबा के यहाँ !
............ आभार ,,,
एक टिप्पणी भेजें